जबरदस्त मंदी का शिकार हुए रियल्टी उद्योग में ज्यादातर कंपनियों की बुनियाद 2008 में बुरी तरह हिल गई। मकानों की कीमतों में कमी, परियोजनाओं का लटकना और रियल्टी कंपनियों के शेयरों में तीखी गिरावट के गवाह हम सभी बने।
डीएलएफ, ओमैक्स, एसवीपी समूह, पार्श्वनाथ समेत तमाम बड़ी रियल्टी कंपनियों ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में माना कि 2009 में बाजार को नए सिरे से खड़ा होना होगा।
इसके अलावा सभी कंपनियां बुनियादी रणनीति में बदलाव लाने की बात को भी बिल्कुल सही मान रही हैं। ओमैक्स के अध्यक्ष रोहतास गोयल मानते हैं कि बाजार एक बार फिर किफायती दाम वाले मकानों की ओर रुख करेगा।
उन्होंने कहा, ‘मांग बेहद कम है। मंदी को देखते हुए हम आने वाले दिनों में सस्ते मकानों के निर्माण पर जोर देंगे। इसके लिए हमने नेशनल अफोडर्बल हाउसिंग ऐंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की स्थापना भी की है।’
ओमैक्स अगले पांच साल में 3 लाख से 20 लाख रुपये तक के दायरे में तकरीबन 10,000 मकान बनाने की सोच रही है।एसवीपी समूह के मुख्य कार्य अधिकारी सुनील जिंदल ने कहा, ‘रियल्टी कंपनियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती प्रत्येक आय वर्ग के लिए मकान उपलब्ध कराना है। हम सस्ते मकानों का 30 से 40 फीसदी काम 2009 में ही पूरा कर लेंगे।’
डीएलएफ के उपाध्यक्ष राजीव सिंह मानते हैं कि बाजार की हालत अच्छी नहीं रहेगी। इसी वजह से छोटे शहरों पर ज्यादा ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि डीएलएफ छोटे शहरों के लिए खास परियोजनाएं बना रही है क्योंकि बाजार अब उन्हीं की मदद से उबर पाएगा।
वह यह भी मानते हैं कि नकदी की किल्लत के बीच निवेश के लिए रकम हासिल करना रियल्टी कंपनियों के लिए टेढ़ी खीर होगा। हालांकि ब्याज दरों में कटौती और सरकार के दूसरे प्रयासों से इस बाजार में उम्मीद जगी है, लेकिन कुल मिलाकर लागत कम करना उनकी पहली प्राथमिकता होगी।
हालांकि पार्श्वनाथ की प्रवक्ता के मुताबिक उनकी कंपनी छंटनी से दूर रहेगी और लागत घटाने के दूसरे उपाय अपनाएगी।?लेकिन ज्यादातर कंपनियां मान रही हैं कि कर्मचारियों पर इसकी गाज गिरना तय है।?इसके अलावा नए रोजगार भी कम ही मिल पाएंगे।