निर्यातकों ने सरकार से अनुरोध किया है कि माफी योजना में शामिल छोटे कारोबारियों को पूरी देनदारियों का भुगतान 30 सितंबर तक करने के स्थान पर निश्चित समय में किस्तों में करने की अनुमति दें। इस माफी योजना का ध्येय अग्रिम प्राधिकरण और निर्यात संवर्धन पूंजीगत सामान (ईसीपीजी) निर्यात की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने से चूक गए कारोबारियों के लिए एक बार में निपटारा करना है।
अनुरोध के लिए मुख्य तौर पर यह तर्क दिया गया है कि लघु सूक्ष्म, छोटे और मध्यम उद्योग (एमएसएमई) की इकाइयों के लिए ब्याज दरों में वृद्धि के कारण धन जुटाना बड़ी समस्या हो गई है। इसके अलावा एक बार में भुगतान करने से छोटे कारोबारों की कार्यशील पूंजी प्रभावित होगी और इससे उनके कारोबार पर असर पड़ेगा।
अभी बड़ी संख्या में एमएसएमई माफी योजना में शामिल होना चाहती हैं। उनके लिए 30 सितंबर तक माफी योजना के तहत पूरी देनदारियों का भुगतान चिंता का विषय बन गया है।
यदि सरकार उद्योग की मांग को स्वीकार कर लेती है तो छोटे कारोबारियों को 30 सितंबर से पूर्व पहली किस्त की अदायगी करनी होगी। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) का अनुरोध मंजूर कर लिया जाता है तो बाकी के भुगतान के लिए सरकार बाद में समय तय कर सकती है। निर्यातकों के इस शीर्ष निकाय ने डीजीएफटी से अनुरोध किया है कि इस मामले को वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के समक्ष उठाए।
इस योजना के तहत दो योजनाओं – अग्रिम प्राधिकरण और ईपीसीजी – की निर्यात प्रतिबद्धताओं को पूरा करने से चूक गए सभी कारोबारी सीमा शुल्क और 100 फीसदी ब्याज की अधिकतम अदायगी करने पर नियमित किए जा सकते हैं।
हालांकि इस योजना में जांच की परिधि में आए मामले या धोखाधड़ी, गलत घोषणा या पूंजीगत सामान का अवैध अन्यत्र इस्तेमाल के मामले शामिल नहीं होंगे। इसके अलावा सेनववैट क्रेडिट या रिफंड के मामले शामिल नहीं होंगे। गणना में त्रुटि होने की स्थिति में मामले की योग्यता के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।