इलेक्ट्रिक दोपहिया और तिपहिया वाहन क्षेत्र की स्टार्टअप कंपनियों का कहना है कि उनके लिए सरकारी सब्सिडी अचानक सूख गई है मगर कुछ स्थापित और बड़े विनिर्माताओं को इसका फायदा मिल रहा है। किंतु भारी उद्योग मंत्रालय के एक
अधिकारी ने कहा कि सब्सिडी लगातार दी जा रही है। उन्होंने कहा कि सब्सिडी केवल उन कंपनियों के लिए रुक गई है, जो प्रक्रिया संबंधी औपचारिकता पूरी नहीं कर सकी हैं।
इलेक्ट्रिक दोपहिया एवं इलेक्ट्रिक तिपहिया क्षेत्र के कई स्टार्टअप के अधिकारियों का कहना है कि फेम 2 योजना के तहत कुल 200 से 300 करोड़ रुपये की सब्सिडी का भुगतान नहीं हो पाया है। उनका कहना है कि टीवीएस मोटर कंपनी, बजाज ऑटो, ओला इलेक्ट्रिक और महिंद्रा इलेक्ट्रिक जैसी कंपनियां लगातार सब्सिडी का फायदा ले रही हैं। इन कंपनियों के सूत्रों ने भी स्वीकार किया कि उन्हें बिना देर किए सब्सिडी दी जा रही है।
देश में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देने और पेट्रोल से चलने वाले वाहनों एवं इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतों में अंतर खत्म करने के मकसद से सरकार ने 2019 में फेम योजना शुरू की थी।
कुछ ई-दोपहिया कंपनियों पर आरोप है कि वे फेम 2 योजना के तहत स्थानीयकरण संबंधी पैमानों का पालन नहीं कर रही हैं। सरकार इसकी जांच कर रही है। इसके बावजूद सब्सिडी का भुगतान न होने का मामला उठ रहा है। फेम 2 योजना के तहत इलेक्ट्रिक दोपहिया के अलग-अलग मॉडलों पर 20,000 रुपये से 50,000 रुपये तक सब्सिडी दी जाती है। इसी प्रकार इलेक्ट्रिक तिपहिया पर 75,000 रुपये से 1 लाख रुपये के बीच सब्सिडी दी जाती है।
स्थानीयकरण के पैमानों का कथित रूप से पालन नहीं किए जाने पर हीरो इलेक्ट्रिक, ओकीनावा ऑटो टेक, एम्पियर
इलेक्ट्रिक और रतन इंडिया की रिवॉल्ट जैसी कंपनियों को सब्सिडी नहीं दी जा रही है। फेम 2 का लाभ उठाने के लिए विनिर्माताओं को मूल्यवर्द्धन का 50 फीसदी हिस्सा स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं से लेकर ही पूरा करना जरूरी है।
ऊपर बताए गए विनिर्माताओं के अलावा बाकी को प्रक्रियागत देर के कारण सब्सिडी नहीं दी गई है। लेकिन स्टार्टअप का कहना है कि मामला कुछ और है।
एक ई-दोपहिया स्टार्टअप के संस्थापक ने कहा, ‘हमें भेदभाव भरा यह व्यवहार समझ नहीं आ रहा। इससे भी बुरी बात है कि यह सब बिना जांच के किया जा रहा है। कम से कम हमें वजह तो बताई जाए।’
ओमेगा सीकी मोबिलिटी (ओएसएम) के संस्थापक और मुख्य कार्य अधिकारी उदय नारंग ने कहा, ‘सब्सिडी नहीं मिलने से हमारे सामने नकदी का गंभीर संकट पैदा हो गया है।’ इससे कंपनी को अपनी विस्तार योजना सुस्त करने पर मजबूर होना पड़ा है।
ओएसएम ने अपनी क्षमता 500 वाहन प्रति महीने से बढ़ाकर 1,000 वाहन प्रति महीना करने की योजना बनाई थी, लेकिन अब विस्तार योजना टाल दी गई है। उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि ऐसा कब तक चलता रहेगा।’
भारी उद्योग मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सब्सिडी भुगतान में देर होने की बात से इनकार किया। उन्होंने कहा, ‘मंत्रालय ऐसी किसी भी कंपनी के लिए सब्सिडी नहीं रोक रहा है, जिसने सभी जरूरी कागज जमा कराए हैं। कंपनी आवेदन करती है, उसके बाद ही सब्सिडी दी जाती है। इस प्रक्रिया में 15-20 दिन लगते हैं।’
ऑल्टिग्रीन प्रोपल्शन लैब्स के संस्थापक एवं मुख्य कार्य अधिकारी अमिताभ सरन ने भी बताया कि उनकी कंपनी को कोई सब्सिडी नहीं मिली है। उन्होंने कहा, ‘हमें जुलाई के अंत तक फेम 2 के तहत सब्सिडी मिली है।
उसके बाद डीएचआई में प्रक्रिया एवं कागजी कार्रवाई बदल गई है। उद्योग ने बदलाव के तरीकों और उनके वक्त का विरोध किया है। मुझे लगता है कि अक्टूबर की फाइलिंग के लिए कोई वैकल्पिक प्रक्रिया सुझाई गई है।’
सब्सिडी बंद किए जाने के मसले पर हीरो इलेक्ट्रिक और ग्रीव्स कॉटन के प्रवक्ताओं ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। ओकीनावा ऑटोटेक के प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी सरकार द्वारा अधिसूचित फेम 2 एवं अन्य दिशानिर्देशों का पालन करती आई है।
