अहमदाबाद स्थित क्रोनिक थेरेपी-केंद्रित दवा कंपनी एरिस लाइफसाइंसेज (एरिस) इस महीने अपने स्वयं के इंसुलिन ब्रांड के साथ ऑलिगोपेलिस्टिक इंसुलिन बाजार में प्रवेश कर रही है। भारत में इंसुलिन बाजार पर सनोफी और नोवो नॉर्डिस्क जैसी कंपनियों का दबदबा है। इंसुलिन के लिए भारतीय फार्मास्युटिकल बाजार (आईपीएम) 3,500 करोड़ रुपये का है। यह पिछले पांच साल के दौरान 10 प्रतिशत की सालाना दर से बढ़ा है। एआईओसीडी फार्मासॉफ्टेक अवाक्स के दिसंबर 2021 तक के सालाना कारोबार के आंकड़े के अनुसार इस सेगमेंट में प्रख्यात कंपनियां हैं 50 प्रतिशत भागीदारी के साथ नॉर्डिस्क, सनोफी (22 प्रतिशत), ल्यूपिन (11 प्रतिशत), और बायोकॉन (7.5 प्रतिशत)।
ओरल एंटी-डायबेटिक दवा बाजार मौजूदा समय में करीब 12,000 करोड़ रुपये का है और यह पिछले पांच साल के दौरान 11 प्रतिशत की सालाना दर से बढ़ा है। कंपनी के कार्यकारी निदेशक एवं मुख्य परिचालन अधिकारी वी कृष्णकुमार का कहना है कि दिसंबर 2021 तक एरिस का ओरल एंटी-डायबिटीज दवा बाजार में 4.3 प्रतिशत का नियंत्रण है और उसने अगले पांच साल में इंसुलिन सेगमेंट में 10 प्रतिशत भागीदारी का लक्ष्य रखा है।
एरिस करीब 140 चिकित्सा प्रतिनिधियों (बिक्री कर्मियों) के साथ अपने इंसुलिन डिवीजन को पेश कर रही है। पहले उत्पादों में मानव इंसुलिन (फरवरी) और फिर ‘एरिस पेन’ नामक इंसुलिन पेन (काट्रिज) को शामिल किया जाएगा।कंपनी ने वर्ष 2023 में इंसुलिन ग्लेरगिन को पेश करने की योजना बनाई है। पेश किए जाने वाले अन्य उत्पादों में एस्पार्ट, लिस्प्रो (फास्ट-एक्टिंग इंसुलिन) और लिरागल्यूटाइड शामिल हैं।
कृष्णकुमार का मानना है कि इंसुलिन बाजार अक्सर कुछ ही कंपनियों के दबदबे वाला बाजार है।
