कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों में निवेश से 67,619.72 करोड़ रुपये कमाए हैं। संगठन ने कुल 1.59 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था, जो अब बढ़कर 2.27 लाख करोड़ रुपये हो गया है। यह जानकारी 8 अगस्त को संसद में हुए खुलासे से मिली। ईटीएफ का मॉडल एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स, निफ्टी-50 और पब्लिक सेक्टर कंपनियों को ट्रैक करने वाले इक्विटी सूचकांकों पर आधारित है।
इक्विटी ईटीएफ मोटे तौर पर बेंचमार्क सूचकांकों के रिटर्न को ट्रैक करते हैं। वे सक्रियता से प्रबंधित फंड की तरह ज्यादा रिटर्न हासिल करने के लिए सक्रियता के साथ खरीद-बिक्री नहीं करते। यह ज्यादा महंगे ऐक्टिव फंडों के विकल्प के तौर पर कम लागत वाला माना जाता है और बेंचमार्क इंडेक्स की तरह यहां कमजोर प्रदर्शन का समान जोखिम नहीं होता।
ईपीएफओ ने अगस्त 2015 से इक्विटी एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों में निवेश शुरू किया था। लोकसभा में इस संबंधित हालिया जवाब हाल के वर्षों के आंकड़े उपलब्ध कराते हैं। यह बताता है कि 2019-20 से ईटीएफ में करीब 1.59 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। ईपीएफओ ने हर साल औसतन 36,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है। संगठन साल 2022-23 के पहले तीन महीने में 12,199.26 करोड़ रुपये का निवेश कर चुका है।
वित्तीय सलाहकारों ने ज्यादा आवंटन का सुझाव दिया है क्योंकि यह ईपीएफओ के लिए बचत का ज्यादा टिकाऊ मॉडल साबित होगा।
लैडर 7 फाइनैंशियल एडवाइजर्स के संस्थापक सुरेश सदगोपन ने कहा, ईपीएफओ जैसा लंबी अवधि का निवेशक इक्विटी में निवेशका जोखिम ले सकता है। उन्होंने कहा, उतारचढ़ाव अक्सर अल्पावधि वाला होता है और ज्यादा जोखिम की भरपाई ज्यादा रिटर्न से हो जाती है। उन्होंने कहा कि वैश्विक रिटायरमेंट व पेंशन फंड विदेश में शेयर बाजारों में निवेश करते हैं, ऐसे में स्थानीय इक्विटी में 15 फीसदी आवंटन काफी कम है। सदगोपन ने कहा कि उन्हें ज्यादा रकम के निवेश पर विचार करना चाहिए।
ट्रांससेंड कंसल्टिंग (इंडिया) के निदेशक कार्तिक जवेरी ने कहा, ईपीएफओ अक्सर तय रिटर्न देता रहा है, जो अनिवार्य तौर पर उनके अंतर्निहित पोर्टफोलियो के रिटर्न को नहीं दर्शाता है। इक्विटी में ज्यादा आवंटन से इस खाई को पाटने में मदद मिल सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक स्तर पर रिटायरमेंट योजनाएं वैयक्तिक खातों को ज्यादा स्वायत्तता मुहैया कराती हैं। यह उन्हें इच्छा के मुताबिक पूंजी आवंटन के लिए ज्यादा लचीला रुख उपलब्ध कराता है।
पिछले पांच साल के रिटर्न के विश्लेषण से पता चलता है कि इक्विटी बाजारों ने डेट के मुकाबले ज्यादा रिटर्न दिया है। मार्च 2022 तक एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स का औसतन पांच साल का रिटर्न 18.2 फीसदी रहा है। निफ्टी-50 के मामले में यह 17.8 फीसदी रहा है। मार्च के आखिर में सरकारी डेट पर प्रतिफल पिछले पांच साल में औसतन 6.8 फीसदी रहा है। ज्यादा रेटिंग वाले कॉरपोरेट (ब्लूमबर्ग एफआईएमएमडीए एएए कॉरपोरेट डेटा पर आधारित) के मामले में यह 7.7 फीसदी रहा। कम रेटिंग वाली कंपनियों के मामले में यह 8.4 फीसदी है। निफ्टी सीपीएसई इंडेक्स (जो पब्लिक सेक्टर कंपनियों को ट्रैक करता है) ने इस अवधि में 4.6 फीसदी रिटर्न दिया। हालिया खबरों के मुताबिक, ईपीएफओ कथित तौर पर इक्विटी में आवंटन बढ़ाने पर विचार कर रहा है। लोकसभा में जिन सवालों के जवाब दिए गए, यह उसका एक हिस्सा था, जिसमें पूछा गया था कि क्या सरकार शेयर बाजार के उतारचढ़ाव को देखते हुए पेंशनधारियों के हितों को सुरक्षित बनाने की खातिर पर्याप्त एहतियात सुनिश्चित कर रहा है, जहां निवेश पर रिटर्न की गारंटी नहीं है। साथ ही क्या शेयर बाजार में ज्यादा आवंटन पर कदम उठाए जा रहे हैं। सरकार ने जवाब में कहा था, ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।