हफ्ते दर हफ्ते बढ़ती महंगाई दर अपने ही पिछले रिकॉर्ड तोड़ने पर अमादा है। सरकार भी इसकी लगाम थामने के लिए कई जतन कर चुकी है। लेकिन महंगाई है कि रुकने का नाम ही नहीं ले रही है।
तेल कंपनियों के बाद इस महंगाई की सबसे ज्यादा मार उद्योग जगत पर पड़ रही है। इस हफ्ते महंगाई दर 11 से ऊपर पहुंची तो उद्योगपतियों के माथे की शिकन और ज्यादा बढ़ गई है। इस बढ़ती महंगाई दर को रोकने के उपाय के तौर पर जेएसडब्ल्यू स्टील के उपाध्यक्ष और ऐसोचैम के अध्यक्ष सान जिंदल ने कहा ‘महंगाई दर की रफ्तार थामने के लिए सरकार ब्याज दरों में 100 आधार अंक की बढ़ोतरी कर सकती है।’
एवरेडी इंडस्ट्रीज इंडिया के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक दीपक खेतान ने कहा, ‘आने वाले समय में ब्याज दरों की बढ़ोतरी ही एकमात्र हथियार है, जिसके सहारे सरकार मुद्रास्फीति की बेकाबू रफ्तार को थाम सकती है। लेकिन इसकी वजह से कंपनियों के विकास पर भी असर पड़ सकता है।’ टाटा मैटालिक्स के प्रबंध निदेशक हर्र्ष झा ने कहा, ‘अगर कीमतों में इसी तरह से इजाफा जारी रहा, तो कंपनियों का मुनाफा घट सकता है। कंपनियां बढ़ी हुई कीमतों का भार उपभोक्ताओं पर डाल सकती है, लेकिन अर्थव्यवस्था में अगर गिरावट आती है, तो इससे मुश्किलें बढ़ जाएंगी।’
अलबत्ता सीमेंट उद्योग महंगाई दर में इस बढ़ोतरी से शायद बचा हुआ रहेगा। प्रमुख कंपनी अंबुजा सीमेंट के प्रबंध निदेशक ए एल कपूर ने कहा, ‘सीमेंट की मांग पर महंगाई दर का कोई असर पड़ने वाला नहीं है। सच तो यह है कि मुद्रास्फीति की बढ़ती दर भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए चिंता का सबब है।’
श्री सीमेंट के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक एच एम बांगर ने भी कहा, ‘सरकार की ओर से उठाए गए कदम से अगर जीडीपी पर कोई प्रभाव पड़ता है, तो उससे सीमेंट उद्योग को भी नुकसान उठाना पड़ सकता है।’ एसोचैम की मानें, तो महंगाई विकास के लिए मगरमच्छ बनती जा रही है। संगठन ने कहा, ‘तेरह साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी मुद्रास्फीति पर काबू करना सरकार के बस से बाहर लग रहा है।