कोविड-19 महामारी ने किराना स्टोरों को अपने शटर बंद रखने के लिए बाध्य किया जिससे एफएमसीजी कंपनियों ने ऑनलाइन वितरण पर जोर दिया है। उद्योग के अनुमानों में कहा गया है कि एफएमसीजी कंपनियों के लिए बिक्री के प्रतिशत के तौर पर ऑनलाइन की भागीदारी पिछले कुछ महीनों पहले के 5-6 प्रतिशत की तुलना में 8-9 प्रतिशत पर पहुंच गई।
एफएमसीजी कंपनियां ऑनलाइन वितरण पर ध्यान बढ़ा रही हैं क्योंकि किराना स्टोरों को कोविड-19 से दबाव का सामना करना पड़ा है। रिटेल इंटेलीजेंस प्लेटफॉर्म बिजॉम के आंकड़े से पता चला है कि मार्च के मुकाबले अप्रैल में करीब 13 प्रतिशत किराना स्टोर बंद थे।
रुझान मई में बेहतर नहीं रह सका, क्योंकि नकदी और आपूर्ति किल्लत की संयुक्त समस्या के साथ साथ किराना कर्मचारियों को कोरोनावायरस से पैदा हुए व्यावसायिक दबाव का भी सामना करना पड़ा। भारत ने अप्रैल और मई में कोविड-19 मामलों में भारी तेजी दर्ज की।
परिचालन से जुड़े रिटेलरों और वितरकों पर कोविड-19 का ज्यादा प्रभाव देखा गया था जिससे स्टोरों को बंद करने के लिए बाध्य होना पड़ा, भले ही ये स्टोर अस्थायी रूप से बंद रखे गए थे। कंपनियों का कहना है कि उन्हें अगले कुछ महीनों में कारोबार फिर से पटरी पर लौटने की उम्मीद है। हालांकि डिजिटल की बढ़ती लोकप्रियता के बीच कई कंपनियों ने अपने ई-कॉमर्स परिचालन को मजबूत बनाने की तैयारी की है।
उद्योग का अनुमान है कि एफएमसीजी कंपनियों के लिए बिक्री के प्रतिशत के तौर पर ऑनलाइन का योगदान कुछ कंपनियों के लिए बढ़कर 8-9 प्रतिशत पर पहुंच गया, जो कुछ महीने पहले 5-6 प्रतिशत था। एक साल पहले, बिक्री के प्रतिशत के तौर पर ऑनलाइन का योगदान महज 3 प्रतिशत दर्ज किया गया था।
डाबर इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी मोहित मल्होत्रा ने कहा, ‘ऑनलाइन हमारे लिए ध्यान देने के लिहाज से बड़ा माध्यम है।’ वह कहते हैं, ‘कुल बिक्री के योगदान के तौर पर, ऑनलाइन की भागीदारी हमारे लिए 9 प्रतिशत पर पहुंच गई है। हम इसे एक बढ़ते रुझान के तौर पर देख रहे हैं।’
हाल में निवेशकों से बातचीत के दौरान मैरिको के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी सौगत गुप्ता ने कहा था कि उन्हें कंपनी के व्यवसाय में वर्ष 2024 तक ऑनलाइन चैनल का योगदान मौजूदा 8 प्रतिशत से बढ़कर 10-12 प्रतिशत पर पहुंच जाने की संभावना है। ऑनलाइन चैनल में ई-कॉमर्स परिचालन और मैरिको की डायरेक्ट-टु-कंज्यूमर पहलें शामिल हैं।
