बीएस बातचीत
प्रमुख टायर कंपनी अपोलो टायर्स के चेयरमैन ओंकार एस कंवर ने शैली सेठ मोहिले से बातचीत में कहा कि आगामी वर्षों के दौरान घरेलू टायर उद्योग की वृद्धि को विभिन्न कारकों से रफ्तार मिलेगी। उन्होंने कहा कि सरकार की प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजना उनमें सबसे महत्त्वपूर्ण कारक है। उन्होंने कहा कि जिंस कीमतों में हो रही लगातार वृद्धि कंपनियों के लिए एक सबसे बड़ी चुनौती है। पेश हैं मुख्य अंश:
चीन पर आयात प्रतिबंध का अधिकांश लाभ मिल जाने के बाद टायर कंपनियों स्रद्मह्य रफ्तार कहां से मिलेगी?
मैं समझता हूं कि वृद्धि को मुख्य तौर पर वित्त वर्ष 2019-25 के लिए राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा पाइपलाइन (एनआईपी) के विभिन्न प्रभाव से रफ्तार मिलेगी। सरकार ने इस पहल के लिए 111 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया है। तमाम शोध से पता चलता है कि उसका गुणक प्रभाव काफी अधिक होगा। देश मे सड़क बुनियादी ढांचा सृजित होने के कारण ऐसा होगा। इससे खासकर ग्रामीण भारत में रोजगार और देश के विनिर्माण वृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। सड़क मार्ग से वस्तुओं की आवाजाही काफी बढ़ रही है और यह टायर उद्योग के लिए निश्चित तौर पर फायदेमंद रहेगा।
वाणिज्यिक वाहन श्रेणी से मांग कैसी दिख रही है? क्या यह उपरी चक्र की शुरुआत है?
हमें ट्रक श्रेणी में मूल उपकरण विनिर्माताओं (ओईएम) से मांग में सुधार दिख रहा है जो हमारे लिए निश्चित तौर पर सकारात्मक है क्योंकि इससे रीप्लेसमेंट श्रेणी की मांग में भी तेजी आएगी। रीप्लेसमेंट श्रेणी की बायस और रेडियल्स के बीच मांग में मिश्रित रुख दिख रहा है। कुछ महीने बायस की मांग बढ़ जाती है तो कुछ महीने रेडियल्स में वृद्धि दिखती है। हमें उम्मीद है कि देश में बुनियादी ढांचे के विकास पर सरकार द्वारा जोर दिए जाने के साथ-साथ उपभोक्ता खर्च में वृद्धि होने से वाणिज्यिक वाहन श्रेणी की मांग को रफ्तार मिलेगी।
कंपनी के विजन 2026 को हासिल करने की राह में वैश्विक महामारी के कारण पैदा हुए कारकों के अलावा क्या चुनौतियां हो सकती है?
अभी हम केवल एक चुनौती से जूझ रहे हैं और वह है जिंस कीमतों में लगातार तेजी का रुझान। निकट भविष्य में हमें इसका झटका लग सकता है। कीमतों में सुधार की पहल की जा रही है लेकिन कच्चे माल की कीमतों में तेजी से हमारे मार्जिन पर दबाव बढ़ रहा है। हम एक कुशल संगठन होने के नाते सामने आने वाली हरेक चुनौती का सामना करने और अवसर का फायदा उठाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें मध्यावधि से दीर्घावधि के दौरान प्रमुख बाजारों में काफी अवसर दिख रहे हैं।
क्या आप अधिग्रहण पर नजर रखते हुए सुदृढीकरण पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं?
एक विकासोन्मुख संगठन होने के नाते हम वृद्धि के लिए सभी संभावनाओं पर लगातार नजर रखते हैं। फिलहाल हम अपने आंध्र संयंत्र में क्षमता विस्तार पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। चेन्नई और हंगरी इकाइयों के साथ आंध्र संयंत्र सभी देशों में मांग को पूरा करता है। फिलहाल हमारी नजर किसी अधिग्रहण पर नहीं है।
कमोडिटी सुपर साइकिल का परिदृश्य कैसा दिख रहा है? आप उससे किस प्रकार जूझ रहे हैं?
इनपुट लागत में पिछले कई महीनों से लगातार तेजी दिख रही है और उससे हमारे मार्जिन पर दबाव बढऩे लगा है। इनपुट लागत में वृद्धि के प्रभाव से निपटने के लिए हम कीमतों में बढ़ोतरी की पहल पहले ही कर चुके हैं। इसके अलावा आंतरिक तौर पर लागत में कटौती के उपाय किए गए हैं।