सरकार की तरफ से मुश्किल दौर से गुजर रहे 26 क्षेत्रों की पात्र कंपनियों के लिए शुरू की गई इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम (ईसीएलजीएस 2.0) से रेटिंग प्राप्त कंपनियों को 40,000 करोड़ रुपये से अधिक नकदी मिल सकती है और यह महामारी से प्रभावित कंपनियों की नकदी आवक में गिरावट की भरपाई में पर्याप्त से अधिक है। क्रिसिल रेटिंग्स ने अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है।
महामारी से प्रभावित कंपनियों के पुनर्गठन के वित्तीय मानक तय करने के लिए केवी कामथ समिति का गठन किया गया था, जिसने 26 क्षेत्र चिह्नित किए थे। सरकार ने अपने आत्मनिर्भर भारत अभियान 3.0 में नई ईसीएलजीएस योजना के तहत वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र को भी पात्र माना था।
ईसीएलजीएस 2.0 के तहत 50 करोड़ रुपये से 500 करोड़ रुपये तक के बकाया ऋण वाली कंपनियां इस साल 29 फरवरी को अपने बकाया ऋण का 20 फीसदी तक अतिरिक्त ऋण ले सकती हैं। ये ऋण पांच साल तक की अवधि के लिए उपलब्ध हैं, जिसमें मूलधन लौटाने पर एक साल तक की मोहलत भी शामिल है।
क्रिसिल का अध्ययन स्वास्थ्य समेत 27 क्षेत्रों की 1,414 कंपनियों पर आधारित है। इन कंपनियों का कुल बकाया ऋण 29 फरवरी को दो लाख करोड़ रुपये था। क्रिसिल ने कहा कि नमूने में शामिल कंपनियों के लिए ईसीएलजीएस 2.0 योजना नकदी का एक अहम स्रोत हो सकता है क्योंकि इन कंपनियों की औसत नकदी आवक चालू वित्त वर्ष में महामारी से पहले के आकलन की तुलना में 17 फीसदी या 11,000 करोड़ रुपये घटी है। क्रिसिल रेटिंग्स के निदेशक सुबोध राय ने कहा, ‘ईसीएलजीएस 2.0 योजना के तहत उधारी से नमूने में शामिल कंपनियों को नकदी आवक में कमी की तुलना में 3.5 गुना अतिरिक्त नकदी मिल सकती है। इससे उन्हें अस्थायी नकदी चुनौती से निपटने में मदद मिलेगी।’
