भारत का हेल्थटेक क्षेत्र शानदार रफ्तार से बढ़ रहा है और उपभोक्ता स्वास्थ्य देखभाल की दिशा में हर कदम पर व्यापक पेशकशें कर रहा है, जिनमें फिटनेस एवं पोषण, स्वास्थ्य जांच, उपचार एवं रोग प्रबंधन मुख्य रूप से शामिल हैं। खासकर, फार्मा, डायग्नॉस्टिक और परामर्श के क्षेत्रों में हेल्थटेक की लगातार वृद्घि (जिसे कंसल्टिंग फर्म रेडसियर ने ‘ई-हेल्थ’ नाम दिया है) शानदार है।
रेडसियर के अनुसार इन सबसे ई-हेल्थ सेक्टर वर्ष 2025 तक बढ़कर 9-12 अरब डॉलर की सकल व्यावसायिक वैल्यू (जीएमवी) और वर्ष 2030 तक 40 अरब डॉलर जीएमवी पर पहुंच सकता है और इसमें मुनाफा बढऩे के अच्छे अवसर मौजूद हैं।
रेडसियर के प्रबंधक (इंगेजमेंट) कुशल भटनागर ने हाल में आयोजित कार्यक्रम ग्राउंड जीरो 6.0 के अवसर पर कहा, ‘हमने महसूस किया कि वैश्विक मानकों द्वारा वृद्घि के लिए आगामी संभावनाएं हैं, जिनमें हेल्थटेक कंपनियां पहले से ही पारंपरिक तौर पर आगे बनी हुई हैं। भारत का हेल्थटेक क्षेत्र उपभोक्ताओं और व्यवसायियों को व्यापक मूल्य प्रस्ताव मुहैया कराने के लिए लगातार शानदार राह पर बढ़ रहा है। इससे ई-हेल्थ क्षेत्र को अपनी व्यावसायिक वैल्यू तेजी से बढ़ाने में मदद मिलेगी।’
रेडसियर द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के ई-हेल्थ क्षेत्र ने 2021 में अपने नेट प्रमोटर स्कोर (एनपीएस) में 47 प्रतिशत की वृद्घि दर्ज की, जिससे संकेत मिलता है कि ग्राहक अब अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को ई-हेल्थ प्लेटफॉर्मों का सुझाव ज्यादा दे रहे हैं।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत के ई-हेल्थ क्षेत्र ने घटती ग्राहक जोडऩे की लागत (सीएसी) दर्ज की, जो इसका अन्य संकेतक है कि यह क्षेत्र अब बेहतर मुनाफे के साथ तेजी से बढ़ रहा है। सेम-डे डिलिवरी और क्रॉस-सेलिंग से भी इस क्षेत्र के प्रदर्शन को ताकत मिली है। भविष्य में कंपनियां वृद्घि के खास विकल्पों को चुन सकते हैं, क्योंकि अच्छी संभावनाओं के साथ इस क्षेत्र में संभावनाएं मौजूद हैं। ई-फार्मा का ई-हेल्थकेयर सेक्टर पर कोविड से पहले भी दबदबा बना हुआ था।
