रुपये की कमजोरी ने देश की तेल मार्केटिंग कंपनियों की हालत खस्ता कर दी है।
देश में तेल की खुदरा कीमतें बढ़ने से ये कंपनियां न मुनाफे और न ही घाटे यानी ब्रेक ईवन की स्थिति तक पहुंचने की उम्मीद कर रही थीं। लेकिन डॉलर महंगा होने से यह उम्मीद खत्म हो गई है। अब इन्हें तेल खरीदने के लिए ज्यादा रकम चुकानी पड़ रही है।
सितंबर से अभी तक रुपये में 8.88 प्रतिशत की गिरावट आई है और पिछले सप्ताह तो यह 49 रुपये प्रति डॉलर पहुंच गया, जो अभी तक की सबसे खराब स्थिति रही। इस वजह से हुआ यह कि इन मार्केटिंग कंपनियों को तेल खरीदने के लिए ज्यादा रुपये चुकाने पड़ रहे हैं।
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन और हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन पेट्रोल, डीजल, केरोसिन और खाना पकाने के गैस को लागत मूल्य से कम पर बेचती है। इस वजह से मौजूदा वित्तीय वर्ष में इन कंपनियों को लगभग 1,60,000 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। इन कंपनियों की कुल बिक्री में इन चार पेट्रोलियम उत्पादों का हिस्सा तीन-चौथाई होता है।
एक तेल मार्केटिंग कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘अगर रुपये 42-43 रुपये के रेंज में होता, तो हमलोग स्थितियों से अच्छी तरह से निबट सकते थे। लेकिन अभी जो रुपये की हालत है, उसमें कच्चे तेल की कीमत 60 डॉलर प्रति बैरल हो जा रहा है।’
पिछले महीने पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा ने कहा था कि तेल मार्केटिंग कंपनियां कच्चे तेल को 67 डॉलर प्रति बैरल पर तेल बेचने पर कंपनियों को घाटा नहीं होगा। उन्होंने यह भी कहा था कि जब तक तेल की कीमतें ब्रेक इवेन प्वाइंट पर नहीं पहुंच जाती है, तब तक इसकी घरेलू कीमतों में कमी नहीं की जाएगी।
शुक्रवार को भारतीय रिफाइनरी के कच्चे तेल को 72.87 डॉलर प्रति बैरल पर आयात किया गया। पिछले महीने औसतन यह कीमत 80.77 डॉलर प्रति बैरल रहा और सितंबर में यह 96.81 डॉलर प्रति बैरल था। आज जबकि पूरी दुनिया में वित्तीय संकट का दौर जारी है, तो तेल की मांग में कमी को देखते हुए ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि कुछ समय के लिए कीमतें गिर सकती हैं।
मौजूदा वित्तीय वर्ष में सरकार तेल कंपनियों के लिए 94,600 करोड़ रुपये का बॉन्ड जारी कर सकती है, जिससे इन कंपनियों का घाटा पाटा जा सके। सरकार की तेल उत्पादक कंपनियां ऑयल ऐंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन और ऑयल इंडिया भी 45000 करोड़ रुपये तक की छूट दे सकती है। इसके बाद तेल मार्केटिंग कंपनियां 20000 करोड़ रुपये का सहन कर सकती है।
हिन्दुस्तान पेट्रोलियम के एक अधिकारी ने कहा, ‘जुलाई में यह अंतर 42000 करोड़ रुपये का था। अब यह 400 करोड रुपये का है। हम उम्मीद करते हैं कि भविष्य में तेल की कीमतें नीचे आएगी।’