हैदराबाद की कंपनी डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज अब क्रॉनिक उपचार श्रेणी पर ध्यान केंद्रित करते हुए घरेलू बाजार में शीर्ष पांच दवा कंपनियों में शामिल होने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रही है। कंपनी का कहना है अमेरिका उसके लिए एक महत्त्वपूर्ण बाजार बरकरार रहेगा लेकिन वह अगले पांच साल के दौरान चीन से प्राप्त राजस्व के दोगुना होने और ब्राजील से प्राप्त राजस्व में 5 गुना वृद्धि की उम्मीद कर रही है।
कंपनी ने अगले चरण की वृद्धि के लिए एक महत्त्वपूर्ण रणनीति की रूपरेखा तैयार की है। इसके तहत कंपनी ने कहा है कि साल 2025 तक कम से कम 25 फीसदी दवा ‘फर्स्ट टु मार्केट’ जेनेरिक होगी। इसका मतलब साफ है कि वे दवाएं नवोन्मेषी उत्पादों के किफायती संस्करण होंगी। कुल मिलाकर कंपनी ने 2030 तक 2030 तक 1.5 अरब रोगियों तक पहुंचने की योजना बनाई है। इसके अलावा कंपनी ने हर साल तीन नवोन्मेषी दवाओं को बाजार में उतारने का लक्ष्य रखा है जो उपचार के मानकों में सुधार लाएंगी।
डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज (डीआरएल) के को-चेयरमैन एवं एमडी जीवी प्रसाद ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘भारत में हम क्रॉनिक दवा बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाना चाहते हैं जहां फिलहाल हमारी मौजूदगी कम है। यदि हमें कोई उपयुक्त सौदा मिला तो हम इस कारोबार में विलय-अधिग्रहण के जरिये भी निवेश कर सकते हैं। हमने नोवार्तिस के कार्डियो-वैस्कुलर पोर्टफोलियो जैसे कुछ सौदा पहले भी किए हैं।’
प्रसाद ने कहा, ‘हम भारत में उन श्रेणियों में विस्तार करना चाहते हैं जो हमारे लिए प्रासंगिक हों और इसके लिए हम खुद के कारोबार के विस्तार और विलय-अधिग्रहण दोनों मोर्चों पर आगे बढ़ेंगे।’
प्रसाद ने कहा कि वह अपने कारोबार को अमेरिकी बाजार से अन्य बाजारों में विविधता लाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने पूंजी आवंटन का रुख भारत जैसे बाजारों की ओर करने में जुटे हैं। उन्होंने कहा, ‘भारत में हम पिछले कुछ वर्षों से ब्रांड अधिग्रहण कर रहे हैं। हम अमेरिका में अपना काम जारी रख रहे हैं लेकिन हमने भारत में कहीं अधिक पूंजी आवंटित की है।’
अमेरिका वर्षों से डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज के लिए एक प्रमुख बाजार रहा है। कंपनी के कुल राजस्व में अमेरिका का योगदान अब भी करीब 35 फीसदी है। हालांकि कंपनी तेजी से अन्य बाजारों की ओर रुख कर रही है जिनमें भारत सहित अन्य उभरते बाजार शामिल हैं। भारत सहित अन्य उभरते बाजार का राजस्व योगदान करीब 1 अरब डॉलर है जो अमेरिकी बाजार के लगभग बराबर है।
कंपनी के अमेरिकी कारोबार में वित्त वर्ष 2019 और वित्त वर्ष 2022 के बीच 5 फीसदी सीएजीआर की वृद्धि दर्ज की गई। डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज के पास 335 दवाओं का एक दमदार पोर्टफोलियो है जिनमें से 160 से अधिक दवाओं की बिक्री हो रही है जबकि शेष विकास के विभिन्न चरणों में हैं।
अमेरिका के जेनेरिक बाजार में कई कंपनियों के आने से तगड़ी प्रतिस्पर्धा और कीमतों में गिरावट का सामना करना पड़ रहा है। दूसरी ओर, भारतीय बाजार ब्रांडेड जेनेरिक दवाओं का बाजार है। हालांकि ब्रांड तैयार होने में समय लगता है लेकिन ब्रांड के स्थापित होने के बाद रिटर्न काफी स्थिर दिखता है।
