देश की प्रमुख औषधि कंपनियां अगले पांच वर्षों के दौरान अनुसंधान एवं विकास (आरऐंडडी) पर अपने खर्च में बढ़ोतरी करने की संभावनाएं तलाश रही हैं क्योंकि भारतीय फार्मास्युटिकल बाजार की नजर अगले दस वर्षों में 130 अरब डॉलर के कुल कारोबार पर है। इस बीच उद्योग प्रमुखों ने महसूस किया है कि वैश्विक महामारी ने भारतीय फार्मा के लिए अवसरों के दरवाजे खोल दिए हैं ताकि वह कच्चे माल एवं तैयार दवाओं के लिए चीन के बाद दूसरा स्रोत बनकर उभरे।
बाजार हिस्सेदारी के लिहाज से देश की सबसे बड़ी दवा कंपनी सन फार्मा के प्रबंध निदेशक दिलीप सांघवी ने बायोएशिया 2022 सम्मेलन में कहा कि उनकी कंपनी का कुल कारोबार का करीब 7 से 9 फीसदी हिस्सा फिलहाल आरऐंडडी मद में खर्च होता है जो अगले पांच वर्षों के दौरान बढ़कर 9 से 12 फीसदी होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, ‘हम अनुसंधान में निवेश करना जारी रखेंगे और अगले पांच वर्षों में हमारा अनुसंधान खर्च बढ़कर सालाना 60 से 65 करोड़ डॉलर होने की उम्मीद है।’
डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज के सह-चेयरमैन एवं एमडी जीवी प्रसाद ने कहा कि उनकी कंपनी अब अनुसंधान एवं विकास मद में अपने राजस्व का लगभग 10 से 12 फीसदी निवेश करती है। उन्होंने कहा, ‘इस आरऐंडडी का करीब दो तिहाई हिस्सा हमारे मौजूदा कारोबार के लिए खर्च होता है जबकि करीब एक तिहाई हिस्से का निवेश बायोलॉजिक्स एवं न्यू केमिकल इंटिटीज में किया जाता है ताकि भविष्य की दवाएं तैयार की जा सकें। हम उम्मीद करते हैं कि अगले पांच साल तक 12 फीसदी की दर से यह रफ्तार बरकरार रहेगी। लेकिन साझेदारी के साथ आगे बढऩा हमारी वृद्धि का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा होगा।’
जायडस लाइफसाइंसेज के चेयरमैन पंकज पटेल ने कहा कि उनकी कंपनी भी आरऐंडडी पर निवेश में वृद्धि को जारी रखेगी। उन्होंने कहा कि अगले पांच साल में अनुसंधान पर कुल कारोबार का करीब 10 फीसदी खर्च किया जाएगा।
पीरामल ग्रुप के चेयरमैन अजय पीरामल ने कहा कि पीरामल ने जटिल दवाओं और क्षमता निर्माण में निवेश करना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि नवाचार में बड़ा दांव लगाने के लिए मौजूदा करोबार के पास पर्याप्त नकदी प्रवाह अवश्य होना चाहिए।
