भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) और महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल) के विवादित 4जी ठेके के लिए बोली लगाने संबंधी अभिरुचि पत्र का मसौदा तैयार करने की कवायद अंतिम चरण में पहुंच गई है। मसौदे की शर्तों के तहत सार्वजनिक क्षेत्र की इन दो दूरसंचार कंपनियों के लिए वे इकाइयां ही बोली लगा पाएंगी, जिन्होंने पिछले तीन साल में कम से कम 2,300 करोड़ रुपये का औसत सालाना वित्तीय कारोबार किया है। वित्त वर्ष 2018 से वित्त वर्ष 2020 या कैलेंडर वर्ष 2017 से 2020 तक जो कंपनियां न्यूनतम सालाना वित्तीय कारोबार संबंधी शर्त पूरी करेगी वही बोली लगा पाएंगी। इसके साथ ही भारत में सूचीबद्ध कंपनियां ही बोली लगा पाएंगी। सरकार बीएसएनएल और एमटीएनएल के लिए 4जी तकनीक तैयार करने के लिए पात्र कंपनियों से बोलियां मंगाना चाहती है।
मसौदे में यह भी कहा गया है कि आईपीआर या 4जी के सॉफ्टवेयर के सोर्स कोड का नियंत्रण भारतीय कंपनी के पास होना चाहिए और भारत में किसी न्यायालय में कानूनी तौर पर यह खरा उतरना चाहिए। दूरसंचार तंत्र पर आने वाली लागत में आईपीआर की बड़ी हिस्सेदारी होती है। मसौदे में कहा गया है कि केवल राज्य नियंत्रित आईटीआई वित्तीय कारोबार की शर्त पूरी नहीं करने पर भी बोली लगा सकते हैं।
यह कदम इसलिए अहम माना जा रहा है क्योंकि इससे केवल बड़ी भारतीय कंपनियों खासकर सूचना-प्रौद्योगिकी उद्योग की टेक महिंद्रा और टीसीएस जैसी कंपनियों की ही सिस्टम इंटीग्रेटर के तौर पर बोली लगाने की इजाजत होगी। छोटी देसी दूरसंचार उपकरण निर्माता कंपनियों को निविदा में भाग लेने के लिए इन कंपनियों के समूह के साथ जुडऩा होगा। इसकी वजह यह है कि ये छोटी देसी कंपनियां अकेले दम पर इस प्रक्रिया में भाग नहीं ले सकतीं। टेक महिंद्रा और टीसीएस ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
विदेशी दूरसंचार उपकरण निर्माता कंपनियों जैसे एरिक्सन, नोकिया और जेडटीई के लिए विदेश से अपने आईपीआर को लाना लगभग असंभव होगा। इस बारे में एक विदेशी दूरसंचार उपकरण निर्माता कंपनी के शीर्ष अधिकारी ने कहा, ‘क्या आप सुजूकी या मर्सिडीज को अपने आईपीआर भारत में लाने के लिए कह सकेंगे। किसी दूसरे सरकारी विभाग ने लंबे समय से ऐसा करने के लिए नहीं कहा है।’ इतना ही नहीं, निविदा के लिए दूरसंचार विभाग द्वारा गठित तकनीकी समिति ने अपनी सिफारिशों में कहा था कि भारतीय कंपनियों को ही बोली लगाने की अनुमति होगी। समिति की इस सिफारिश से विदेशी कंपनियों के लिए शिरकत करना नामुमकिन हो गया है। हालांकि समझा जा रहा है कि बीएसएनएल इस प्रावधान में संशोधन कर सकती है। टेमा के मानद चेयरमैन एन के गोयल कहते हैं, ‘जो शर्तें तय की गई हैं, उनसे बीएसएनएल को नुकसान होगा।’
