सैटलाइट टीवी प्रसारक डिश टीवी इंडिया के शेयरधारकों ने कंपनी के वार्षिक खाते और अशोक कुरियन की निदेशक के तौर पर दोबारा नियुक्ति के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। कंपनी की सालाना आम बैठक पिछले साल दिसंबर में हुई थी, लेकिन मामला अदालत में लंबित रहने का हवाला देते हुए इसके नतीजे घोषित नहीं किए थे।
आज घोषित मतदान के नतीजे के मुताबिक, कंपनी ने कहा कि 77.6 फीसदी मत वार्षिक खाते के खिलाफ और कुरियन की
नियुक्ति के खिलाफ 78.9 फीसदी मत मिले थे। 53.4 फीसदी मत वित्त वर्ष 2021-22 में कॉस्ट ऑडिटर्स को पारिश्रमिक दिए जाने के खिलाफ पड़े थे।
विशेषज्ञों ने कहा कि आज का खुलासा बताता है कि कंपनी के शेयरधारकों का प्रबंधन व निदेशक मंडल पर भरोसा नहीं था। प्रॉक्सी एडवाइजरी फर्म इनगवर्न के संस्थापक व प्रबंध निदेशक श्रीराम सुब्रमण्यन ने कहा, यह उम्मीद के मुताबिक है क्योंंकि येस बैंक के पास कंपनी की 25.6 फीसदी हिस्सेदारी थी और लेनदारों के पास अब बहुलांश हिस्सेदारी है। चूंकि वार्षिक खाते ठउककरा दिए गए, ऐसे में कंपनी व निदेशक मंडल को दोबारा अंकेक्षण कराना होगा और उसे शेयरधारकों के सामने पेश करना होगा।
सोमवार को सेबी ने बंबई उच्च न्यायालय का हवाला देते हुए कहा था कि अदालत ने कंपनी को एजीएम के नतीजे घोषित करने से नहीं रोका है। सेबी ने कहा, हालाकि डिश टीवी कह रही थी कि मामला विचाराधीन होने के कारण वह नतीजे घोषित नहीं कर रही है जबकि वह पूरी तरह वाकिफ थी कि इस तरह की कोई रोक नहींं लगी है। बंबई उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि डिश टीवी के लंबित मामलों का सेबी की खुलासा अनिवार्यता से कोई लेनादेना नहीं है। चूंकि डिश टीवी ने नतीजों का खुलासा नहीं किया था, लिहाजा सेबी ने उसे तत्काल ऐसा करने का आदेश जारी किया।
बैंक अब कंपनी के बोर्ड में शामिल होने के लिए कदम उठाएंगे और उसमें अपने नॉमिनी नियुक्त करेंगे। पिछले साल 26 सितंबर को येस बैंंक ने कंपनी को शेयरधारकों की असाधारण आम बैठक बुलाने को कहा था ताकि उसके नॉमिनी की नियुक्ति हो सके और मौजूदा सीईओ व एमडी जवाहर लाल गोयल, उसके निदेशकों अशोक कुरियन, रश्मि अग्रवाल, भगवानदास नारंग और शंकर अग्रवाल को बोर्ड से बाहर निकाला जा सके।
येस बैंंक ने पहले कहा था कि डिश टीवी का मौजूदा बोर्ड प्रवतकों के हिसाब से काम कर रहा है और ऐतराज के बावजूद 1,000 करोड़ रुपये के राइट्स इश्यू को मंजूरी दी। येस बैंक ने कहा है कि भारतीय लेनदारों के पास कंपनी की 45 फीसदी हिस्सेदारी है और वह सभी शेयरधारकों के हितों को संरक्षित करने के लिए कदम उठा रहा है।
प्रवर्तकों चंद्रा फैमिली के पास कंपनी की 6 फीसदी हिस्सेदारी है। भारतीय लेनदारों ने डिफॉल्ट के बाद प्रवर्तक इकाइयों के गिरवी शेयर जब्त कर लिए थे।
