परिसंपत्ति गिरवी रखकर कर्ज देने वाली ऋणदाता दीवान हाउसिंग फाइनैंस लिमिटेड (डीएचएफएल) को वित्त वर्ष 2020 की चौथी तिमाही में 10,296.91 करोड़ रुपये का कर पूर्व घाटा हुआ है, जबकि कंपनी को वित्त वर्ष 2019 की चौथी तिमाही में 2,907.56 करोड़ रुपये का कर पूर्व घाटा हुआ था। कंपनी के घाटे में बढ़ोतरी की वजह यह है कि उचित मूल्य में बदलाव के चलते शुद्ध घाटा बढ़कर 12,403.27 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। इस ऋणदाता को वित्त वर्ष 2020 की चौथी तिमाही में 7,634.89 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ, जो वित्त वर्ष 2019 की चौथी तिमाही में 2,223.41 करोड़ रुपये रहा था।
निम्न कर प्रणाली को चुनने से ऋणदाता की वित्त वर्ष 2020 में कर देननदारी टलने से उसे 4,609.85 करोड़ रुपये का फायदा मिला। कंपनी ऋण परिसंपत्तियों में भारी गिरावट आई है। ये मार्च तिमाही के अंत में घटकर 66,202.68 करोड़ रुपये पर आ गईं, जो मार्च 2019 के अंत में 97,978.12 करोड़ रुपये थीं।
ऋणदाता ने कहा कि उसके ऋण पोर्टफोलियो (मूल्य के हिसाब) के करीब 35 फीसदी ने आरबीआई की मॉरेटोरियम सुविधा का इस्तेमाल किया है और इन मॉरेटोरियम खातों से वसूली अनलॉक 1.0 शुरू होने और कर्मचारियों के फील्ड में दौरे शुरू करने के बाद चालू हो रही है। इस एनबीएफसी ने कहा कि वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही में मॉरेटोरियम खातों से वसूली और सुधरेगी।
ऑडिटर की रिपोर्ट के मुताबिक डीएचएफएल को वित्त वर्ष 2020 में कुल 13,575.15 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है, जिससे कंपनी की नेट वर्थ में अहम कमी आई है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘कंपनी की चालू रहने की क्षमता कॉरपोरेट दिवालिया समाधान प्रक्रिया के नतीजे पर निर्भर करती है।’
डीएचएफएल नवंबर 2019 में दिवालिया प्रक्रिया में जाने वाली पहली वित्तीय सेवा कंपनी बनी थी। इसे 24 कंपनियों से अभिरुचि पत्र मिले हैं। उनमें से कुछ कंपनी के पूरे कारोबार के लिए बोली लगाना चाहती हैं, जबकि कुछ कंपनी के लिए हिस्सों में बोली लगाना चाहती हैं। ऋणदाताओं की समिति ने कोविड-19 महामारी के कारण बोलियां जमा कराने की तारीख 24 जुलाई तक बढ़ा दी है।
प्रबंधन ने खातों को लेकर एक नोट में कहा कि कुल परिसंपत्तियों का विश्लेषण करते समय 3,018.68 करोड़ रुपये की राशि को शामिल नहीं किया गया क्योंकि यह ऋण वितरित करने के लिए कोई गिरवी संपत्ति नहीं पाई गई। इसलिए प्रबंधन ने इस राशि को परिसंपत्ति वर्गीकरण के नियमों के मुताबिक नष्ट परिसंपत्ति मानने का फैसला किया है।
ऑडिटर की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2018-19 की खबर के मुताबिक बैंकों में चेक या लेनदेन योग्य प्रतिभूति जमा नहीं कराने के बावजूद कुछ ग्राहकों के खातों में शुरू में बहुत सी लेखा प्रविष्टियां की गई और बाद में इन्हें वापस किया गया। ऐसे घटनाक्रमों की मौजूदा प्रबंधन जांच कर रहा है।
