बराक ओबामा की जीत का जश्न अमेरिका में ही नहीं मन रहा, बल्कि भारत की आईटी कंपनियां भी इसे अपने हित में देख रही हैं।
आईटी कंपनियों और विश्लेषकों का मानना है कि ओबामा की जीत से वित्तीय संकट से जूझ रही वित्तीय संस्थाएं, बैंक और बीमा कंपनियों को राहत मिलने की उम्मीद है।
मंदी के माहौल से अगर ये क्षेत्र उबरते हैं, तो भारतीय आईटी कंपनियों को भी लाभ होगा, क्योंकि उनके राजस्व का करीब 40 फीसदी हिस्सा इन्हीं क्षेत्र की कंपनियों से आता है। हालांकि ओबामा के आउटसोर्सिंग और वीजा नियमों पर दिए गए बयान से आईटी कंपनियां थोड़ी चिंतित भी नजर आ रही हैं।
दरअसल, ओबामा ने कहा था कि ऐसा करने वाली कंपनियों को कर छूट का लाभ नहीं मिलेगा, वहीं अमेरिका में ज्यादा रोजगार उपलब्ध कराने के लिए वीजा नियमों में भी बदलाव की भी बात भी वे कह चुके हैं।
माइक्रोसॉफ्ट के चेयरमैन बिल गेट्स, जो इन दिनों दिल्ली में हैं, ने कहा कि भारतीय आईटी कंपनियां माइक्रोसॉफ्ट के साथ कई परियोजनाओं पर काम कर रही हैं और भविष्य में भी हम इस दिशा में काम करती रहेंगी।
इन्फोसिस के चेयरमैन एन.आर. नारायणमूर्ति ने कहा कि ओबामा एक अच्छे नेतृत्वकर्ता हैं और अमेरिकी उद्योग की जरूरतों को अच्छी तरह समझते हैं। नियो आईटी के वरिष्ठ निदेशक एस. सब्यसाची ने कहा कि आउटसोर्सिंग कंपनियों पर कर लगाने की बात चुनावी स्टंट थी।
नैसकॉम के अध्यक्ष सोम मित्तल ने कहा कि पिछले साल करीब 85,000 एच-1बी वीजा जारी किए गए थे, जिनमें से करीब 12,500 वीजा भारतीयों को मिले। अन्य बहुराष्ट्रीय कंपनियों को भी वीजा मिला था, जिनका मुख्यालय भारत में है। ऐसे में वीजा की संख्या में इजाफा नहीं भी करें, तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा।