फार्मईजी ने एक अनोखा कारनामा कर दिखाया है। वह किसी सूचीबद्ध कंपनी का अधिग्रहण करने वाली पहली ‘यूनिकॉर्न’ (1 अरब डॉलर से अधिक मूल्यांकन वाली स्टार्टअप इकाई) बन गई है। यह सौदा मुंबई के उपनगर घाटकोपर के पांच दोस्तों सिद्धार्थ शाह, धवल शाह, धर्मिल शेठ, हर्ष पारेख और हार्दिक डेढिय़ा के लिए भी बड़ी उपलब्धि है। इस सौदे से कंपनी देश के स्वास्थ्य सेवा आपूर्ति क्षेत्र में एमेजॉन जैसा रुतबा हासिल करने के करीब पहुंच गई है।
करीब सात साल पहले खड़ी हुई फार्मईजी की मूल कंपनी एपीआई होल्डिंग्स ने पिछले हफ्ते ही 25 साल पुरानी कंपनी थायरोकेयर में 66.1 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने की घोषणा की। कंपनी ने बताया कि यह हिस्सेदारी 4,546 करोड़ रुपये में खरीदी जाएगी। देसी स्वास्थ्य सेवा खंड में यह सौदा बहुत कम समय में पूरा हो गया।
स्वास्थ्य सेवा के तीन क्षेत्रों पर फार्मईजी की नजर टिकी है। इनमें से परामर्श एवं उपचार में उसने अपनी स्थिति पहले ही बहुत मजबूत कर ली है। थायरोकयर के अधिग्रहण के साथ अब वह जांच या निदान यानी रोग की पहचान के क्षेत्र में भी पैठ बढ़ाएगी। विशेषज्ञों का कहना है कि थायरोकयर के अधिग्रहण से कंपनी को न केवल एक मजबूत ब्रांड मिल रहा है बल्कि मुनाफे में रहने वाली इकाई भी हाथ लग रही है। वित्त वर्ष 2021 में थायरोकेयर का राजस्व उससे पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 14 फीसदी बढ़कर 494.6 करोड़ रुपये पर पहुंच गया था और शुद्घ मुनाफा 113 करोड़ रुपये था। थायरोकेयर देश की 70 फीसदी आबादी को केवल 24 घंटे में रिपोर्ट देने वाली रोग जांच सेवा प्रदान कर सकती है और फार्मईजी इसे बढ़ाकर 100 फीसदी आबादी तक ले जाना चाहती है।
मुनाफे में चल रही कंपनी का अधिग्रहण फार्मईजी के संस्थापकों के लिए भी अच्छी खबर हो सकती है क्योंकि वे इसका आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लाने की तैयारी में हैं। खबरों के अनुसार कंपनी अगले 12 से 18 महीने में आईपीओ के जरिये 3,000 से 5,000 करोड़ रुपये जुटाना चाहती है।
फार्मईजी के संस्थापकों सिद्धार्थ शाह, धवल शाह, धर्मिल शेठ, हर्ष पारेख और हार्दिक डेढिय़ा का कारोबारी सफर उतार-चढ़ाव भरा रहा है, लेकिन इस दौरान उन्होंने कई बातें सीखने को भी मिलीं। फार्मईजी के सह-संस्थापक और एपीआई होल्डिंग्स के सीईओ एवं संस्थापक सिद्धार्थ शाह ने भारतीय प्रबंध संस्थान-अहमदाबाद में कॉलेज के प्रोजेक्ट के दौरान डायल हेल्थ के नाम से एक कंपनी शुरू की थी। धवल पेशे से डॉक्टर हैं और धर्मिल तथा हार्दिक इंजीनियर हैं। हर्ष ने एमबीए किया है।
डायल हेल्थ का डॉटकॉम कारोबार 2012-13 में बुरी तरह नाकाम रहा। सिद्धार्थ शाह ने निवेशकों के साथ एक बातचीत में कहा, ‘उस समय सिर्फ हमारे मां-बाप को हम पर भरोसा था।’ डायल हेल्थ खुदरा स्टोर में भी इन लोगों को सफलता हाथ नहीं लगी। लेकिन पांचों समझ चुके थे कि लोगों को आसानी से और सस्ती दवा नहीं मिल पाती हैं। उन्हें लगा कि यहां उनके लिए काफी मौका है।
सिद्धार्थ शाह के अनुसार दवाई आपूर्ति व्यवस्था दुरुस्त कर इस कार्य को अंजाम दिया जास कता था। इसके बाद उन्होंने डिजिटल और खुदरा कारोबार मजबूत किया और इस तरह 2015 में फार्मईजी अस्तित्व में आई। इस समय फार्मईजी के 1.2 करोड़ पंजीकृत यूजर (उपयोगकर्ता) हैं और हरेक महीने 1.7 करोड़ से अधिक सक्रिय ग्राहक इसका इस्तेमाल करते हैं। कंपनी देश के 140 शहरों में 90,000 खुदरा दवा विक्रेताओं को दवा पहुंचाती है। फार्मईजी के ईएमआर प्लेटफॉर्म डॉकऑन पर 6,000 से अधिक क्लिनिक पंजीकृत हैं।