विदेशी बाजार के मुकाबले घरेलू बाजार में स्टील एवं लोहे की कीमत में गिरावट नहीं होने के कारण स्टील एवं लोहे से जुड़े मझोले उद्यमियों के कारोबार में 60-70 फीसदी तक की कमी आ चुकी है।
उद्यमी कारोबार में इस जबरदस्त गिरावट के लिए मंदी को भी जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। इन उद्यमियों की हालत ऐसी हो चुकी है कि वे सप्ताह में अधिकतम दो से तीन दिन ही काम कर रहे हैं।
ऑटो पाट्र्स से जुड़ी शीट का उत्पादन करने वाले उद्यमियों के मुताबिक फिलहाल वे उन्हीं उत्पादों को बेच रहे हैं जो पहले से तैयार है।
नया उत्पादन उन्होंने लगभग बंद कर दिया है। सालाना 70 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार करने वाले शीट निर्माता जेपी बिंदल कहते हैं, ‘हमारे जैसे कारोबारियों को इस बात की उम्मीद है कि किसी भी दिन स्टील में 10,000 रुपये प्रति टन की गिरावट हो सकती है। इस कारण वे न तो कोई नया ऑर्डर ले रहे हैं और न ही कोई उत्पादन कर रहे हैं।’
उनका कहना है कि जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्टील की कीमत बढ़ रही थी तब स्टील ऑथरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) समेत सभी स्टील उत्पादक कंपनियों ने दाम बढ़ा दिए। अब विदेशी बाजार में स्टील की कीमत घरेलू बाजार के मुकाबले 10,000 रुपये प्रति टन से भी अधिक कम हो चुकी है।
फिर भी यहां स्टील की कीमत कम नहीं की जा रही है। बिंदल ने बताया कि उनके जैसे 100 से अधिक उद्यमियों को सेल से प्रति माह कम से कम 3000 टन माल लेना पड़ता है। जिसकी कीमत फिलहाल 46000 रुपये प्रति टन है।
जबकि अपने ही देश में निजी स्टील उत्पादक कंपनियां 40000 रुपये प्रति टन के भाव से स्टील बेच रही है। शीट की कीमत में पिछले डेढ़ महीने के दौरान 15000 रुपये प्रति टन की गिरावट आ चुकी है। फिलहाल इसकी कीमत 45,000 रुपये प्रति टन है।
लोहे के इंगट बनाने वाले उद्यमियों का तो और भी बुरा हाल है। जुलाई माह के अंत में 1250 डॉलर प्रति टन के भाव बिकने वाले इंगट की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 350-400 डॉलर प्रति टन के स्तर पर आ चुकी है। एचआर कॉयल के दाम भी 1300 डॉलर प्रति टन से गिरकर 500 डॉलर प्रति टन के स्तर पर आ गया है।
उद्यमियों के मुताबिक मंदी की मार से रियल एस्टेट एवं ऑटोमोबाइल क्षेत्र पर काफी अधिक देखने को मिल रही है। और उनके उत्पाद इन दोनों क्षेत्रों से काफी हद तक जुड़े हैं।ऐसे में फिलहाल उनके उत्पादों की मांग में भी 50 फीसदी से अधिक की गिरावट है। उनका यह भी कहना कि बड़े उद्यमी विदेशों से आसानी से स्टील का आयात कर सकते हैं, लेकिन लघु एवं मझोले उद्यमियों के लिए स्टील का आयात करना भी आसान काम नहीं है।