विश्लेषकों को वित्त वर्ष 21 की पहली तिमाही में रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रदर्शन में सुधार की उम्मीद है। यह आकलन वैश्विक मांग में तेजी के दम पर ऊर्जा मार्जिन में सुधार पर आधारित है। यह उम्मीद भी की जा रही है कि खुदरा, पेट्रोकेमिकल और दूरसंचार में देसी मांग में गिरावट की चुनौतियां कम होंगी।
इस हफ्ते 23 जुलाई को आरआईएल का निदेशक मंडल जून तिमाही के कंपनी के एकल व एकीकृत अनअंकेक्षित वित्तीय नतीजे पर विचार करेगा और उसे मंजूरी देगा। विश्लेषक मोटे तौर पर कच्चे तेल में सुधार के चलते कंपनी के मुनाफे में बढ़ोतरी की उम्मीद कर रहे हैं। लेकिन कोरोना की एक और लहर के कारण आरआईएल के खुदरा स्टोर में ग्राहकों की आवाजाही पर असर की संभावना भी है।
एक रिसर्च रिपोर्ट में जेपी मॉर्गन ने कहा है कि कच्चे तेल की ऊंची कीमत, रिफाइनिंग मार्जिन में सुधार और जियो मार्ट में तेजी के कारण आरआईएल के शेयरों को सहारा मिलने की संभावना है। इसके अलावा दूरसंचार टैरिफ में बढ़ोतरी को भी सकारात्मक माना जाएगा।
मॉर्गन स्टैनली के मुताबिक, आरआईएल की मुख्य आय और एबिटा तिमाही दर तिमाही क्रमश: 2.5 फीसदी व 1.5 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज करेगा क्योंंकि वैश्विक मांग में तेजी के दम पर ऊर्जा मार्जिन सुधरेगा और यह खुदरा, पेट्रोकेमिकल और दूरसंचार में देसी मांग में गिरावट का असर कम कर देगा।
मॉर्गन स्टैनली ने एक रिपोर्ट में कहा है, एबिटा में बढ़ोतरी के लिए तेल से लेकर केमिकल एबिटा में तिमाही दर तिमाही 17 फीसदी की बढ़ोतरी और गैस उत्पादन में बढ़ोतरी अहम रहेगी। ये दोनों खुदरा व दूरसंचार एबिटा में करीब 20 फीसदी की गिरावट का असर कम कर देगा।
कोटक इंस्टिट््यूशनल इक्विटीज के अनुमान के मुताबिक, आरआईएल एकल एबिटा मे क्रमिक आधार पर 8 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज करेगा, जिसे डाउनस्ट्रीम बिजनेस के उच्च मार्जिन और अपस्ट्रीम के बढ़ते योगदान से सहारा मिलेगा। कोटक ने कहा, हमारा अनुमान है कि जियो का मार्जिन तिमाही दर तिमाही के आधार पर स्थिर रहेगा क्योंकि ग्राहक आधार बढ़कर 43.12 करोड़ होने के बाद भी औसत राजस्व प्रति ग्राहक 135 रुपये रहने से उसकी भरपाई हो जाएगी। साथ ही लॉकडाउन के कारण खुदरा में तिमाही दर तिमाही भारी गिरावट का असर भी देखने को मिलेगा।
मोतीलाल ओसवाल को लग रहा है कि आरआईएल का खुदरा कारोबार प्रभावित होगा। ब्रोकरेज फर्म ने कहा, हमें उम्मीद है कि एकीकृत एबिटा 228 अरब रुपये रहेगा, जो सालाना आधार पर 35 फीसदी ज्यादा है जबकि तिमाही दर तिमाही आधार पर 2 फीसदी ज्यादा। इसे तेल से लेकर केमिकल कारोबार में बढ़त से सहारा मिलेगा। इसके अलावा खुदरा कारोबार में गिरावट देखने को मिलेगी, जिसकी वजह कोरोना की दूसरी लहर है और यह तिमाही दर तिमाही आधार पर 43 फीसदी घटेगा जबकि सालाना आधार पर यह 92 फीसदी ज्यादा होगा। हमें लगता है कि आरजियो का एबिटा 83 अरब रुपये रहेगा, जो सालाना आधार पर 18 फीसदी ज्यादा है जबकि तिमाही दर तिमाही आधार पर स्थिर है।
उसे यह भी लग रहा है कि आरआईएल की रिफाइनरी भी तिमाही दर तिमाही के लिहाज से सुस्त रहेगी क्योंंकि जामनगर में जून के दौरान गैर-नियोजित बंदी हुई थी। मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट में कहा गया है, आरआईएल को कच्चे तेल की अरब लाइट व हैवी ग्रेड के अंतर का फायदा मिलेगा, जो पहली तिमाही में 1.1 डॉलर प्रति बैरल रहा।