इस्तेमाल की मियाद कम होने और मांग घटने के कारण देश में कोविड-19 टीकों की करोड़ों खुराकें अगले 3-4 महीनों में एक्सपायर यानी बेकार होने जा रही हैं। टीका उद्योग के सूत्रों ने संकेत दिया कि टीका ज्यादा वक्त तक कारगर रहने के प्रमाण मिल रहे हैं, इसलिए वे समय-समय पर इस्तेमाल की मियाद बढ़वाने की कोशिश कर रही हैं।
भारत बायोटेक जैसी कंपनियां अपना स्टॉक बेचने के लिए पिछले कुछ महीनों से निजी अस्पतालों के साथ पूरी सक्रियता से काम कर रही हैं। कंपनी के एक सूत्र ने कहा, ‘भारत बायोटेक पिछले कुछ महीनों से स्टॉक बेचने और एक्सपायर हो चुकी खुराकों की मात्रा घटाने के लिए निजी अस्पतालों के साथ मिलकर काम कर रही है। हम एक्सपायर हो चुकी खुराकों की जगह दूसरी खुराक दे रहे हैं और उन्हें स्टॉक खपाने में मदद कर रहे हैं।’ कंपनी में इस बारे में कुछ नहीं बताया कि कितनी खुराकों की मियाद खत्म होने जा रही है।
कोवैक्सीन की मियाद 12 महीने है, जबकि कोविशील्ड 9 महीने में एक्सपायर हो जाती है। भारत में टीकाकरण में करीब 80 फीसदी खुराकें कोविशील्ड की लगी हैं। पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के पास कोविशील्ड की करीब 20 करोड़ खुराक हैं, जिन्हें दिसंबर में बनाया गया था और जो सितंबर में एक्सपायर हो जाएंगी। इन खुराकों को खपाने की योजना सफल नहीं रही तो कंपनी को इन्हें नष्ट करना होगा।
सीरम इंस्टीट्यूट ने इस मामले में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। हालांकि पिछले महीने दावोस में विश्व आर्थिक मंच में मीडिया को संबोधित करते हुए कंपनी के के सीईओ अदार पूनावाला ने संकेत दिया था कि कंपनी की कम से कम 20 करोड़ खुराक बरबाद हो जाएंगी। कंपनी को इन्हें नष्ट करना होगा क्योंकि उनकी मियाद इस साल अगस्त-सितंबर में खत्म होने जा रही है। सरकारी सूत्रों ने कहा कि सीरम ने ये खुराकें नष्ट करने के लिए मजबूर होने से पहले इन्हें मुफ्त में देने और राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में इस्तेमाल करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से संपर्क नहीं साधा है। सीरम ने दिसंबर से उत्पादन रोक दिया था क्योंकि 25 करोड़ खुराकों का स्टॉक पहले ही तैयार हो गया था। इससे पास बल्क में भी करीब 20 से 25 करोड़ खुराक हैं।
उसके बाद कंपनी ने निर्यात, अंतरराष्ट्रीय करारों और भारत में निजी तथा सार्वजनिक क्षेत्र को आपूर्ति के करारों के जरिये अपना कुछ स्टॉक बेचा है। सूत्रों ने कहा कि कंपनी के पास अब भी एस्ट्राजेनेका के टीके कोविशील्ड की 20 करोड़ तैयार खुराक हैं, जो पुणे में रखी हैं। सूत्रों ने कहा, ‘कुछ स्टॉक बेच दिया गया है, लेकिन अब भी करीब 20 करोड़ तैयार खुराकों का भंडार है।’
कंपनी के पास पड़ा स्टॉक ही नहीं, राज्यों के पास बड़ी मात्रा में पड़ी खुराकें भी एक्सपायर होने के कगार पर हैं।
महाराष्ट्र का ही उदाहरण लें। राज्य के पास कोविशील्ड की 34 लाख खुराकें पड़ी हैं, जिनकी अवधि अगस्त में खत्म हो जाएगी। कोवैक्सीन की करीब 9,895 खुराक जून में एक्सपायर हो जाएंगी। राज्य के टीकाकरण अधिकारी सचिन देसाई ने कहा कि वे इस स्टॉक का इस्तेमाल करेंगे क्योंकि टीकाकरण की रफ्तार बढ़ी है। उन्होंने दावा किया, ‘हम पिछले 10 दिन के दौरान रोजाना औसतन करीब एक लाख खुराक लगा रहे हैं, जबकि पहले 60,000 खुराकें ही लग रही थीं। हम एक्सायरी से पहले ही स्टॉक खत्म कर देंगे।’
वैश्विक स्वास्थ्य विश्लेषण कंपनी एयरफिनिटी के अनुमानों के मुताबिक पिछले साल जी7 देशों में कोविड-19 टीके की करीब 24.1 करोड़ खुराक मियाद खत्म होने की वजह से खराब हो गई होंगी। एयरफिनिटी ने पिछले साल सितंबर में अपनी रिपोर्ट में कहा था कि फौरन पुनर्वितरण नहीं किया गया तो 2021 के आखिर तक जी7 को 24.1 करोड़ खुराक नष्ट करनी पड़ सकती हैं।
इस साल अकेले भारत में ही 20 करोड़ से अधिक खुराक खराब होने के आसार हैं क्योंकि उनकी अवधि सितंबर में हो जाएगी। अगर कोविड-19 टीकों की मांग कम होती है और टीकों का पुनर्वितरण तेजी से नहीं किया जा सकता है तो कोविड-19 टीकों की कम मियाद विनिर्माताओं के लिए चुनौती रहेगी।
भारतीय टीका विनिर्माताओं में उद्योग के सूत्रों ने संकेत दिया कि टीका ज्यादा समय तक ठीक रहने की जानकारी आने पर वे समय-समय पर मियाद बढ़ाने के लिए आवेदन करती हैं। मगर इस मामले में अंतिम फैसला दवा नियामक को ही लेना होता है।
कई बार कोशिश के बावजूद भारतीय भारतीय औषधि महानियंत्रक से संपर्क नहीं हो पाया। पिछले साल मई में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा था कि किसी टीके की अवधि खत्म होने के बाद उसका इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
