लागत, महंगाई और मंदी की तिकड़ी ने भारतीय कंपनियों के बहीखातों पर खासा दिलचस्प असर डाला है।
विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में 873 कंपनियों ने अपने नतीजों का ऐलान किया और उनके बहीखातों पर नजर डालें, तो दूसरी तिमाही के दौरान मामला मिला जुला रहा।
इनमें से तकरीबन 50.4 फीसद कंपनियों के वारे न्यारे रहे। या तो उनके शुद्ध मुनाफे में इजाफा हुआ या वे घाटे के दलदल से निकलकर मुनाफे की चिकनी राह पर आ गईं। लेकिन 34.82 फीसद कंपनियों ने मुनाफे में गिरावट दिखाई है और बाकी 14.78 फीसद कंपनियां घाटे में रही हैं (चार्ट देखें)।
कुल मिलाकर इन कंपनियों का प्रदर्शन मायूसी भरा ही रहा और उनके शुद्ध मुनाफे में महज 4.52 फीसद का इजाफा हुआ, जो पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में हुए 20.77 फीसद के आंकड़े से बहुत कम है। चालू वर्ष की पहली तिमाही के दौरान भी कंपनियों के मुनाफे में 9.95 फीसद की बढ़ोतरी हुई थी।
शुद्ध मुनाफे में धीमी बढ़ोतरी की प्रमुख वजह निर्माण लागत में इजाफा था, जो तकरीबन 36.79 फीसद बढ़ गई जबकि शुद्ध बिक्री में वृद्धि महज 31.74 फीसद ही रही। इसकी वजह से कंपनियों के परिचालन मुनाफे पर असर पड़ा, जिसमें पिछले वित्त जुलाई-सितंबर के मुकाबले 310 आधार अंकों और चालू वर्ष की पहली तिमाही के मुकाबले 143 आधार अंकों की गिरावट दर्ज की गई।
सभी कंपनियों के नतीजे एक साथ लें, तो मार्जिन 15.88 फीसद रहा, जबकि पहली तिमाही में यह 17.31 फीसद था और पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में यही आंकड़ा 18.99 फीसद रहा था। मार्जिन में कमी कमोडिटी की कीमतों में कमी आने और मुद्रास्फीति पर काबू करने के फेर में मूल्य वृद्धि पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के फैसलों की वजह से आई।
इसका सबसे ज्यादा असर सीमेंट, तेल बेचने वाली और इस्पात क्षेत्र की कंपनियों पर पड़ा। मुद्रा में उतार चढ़ाव की वजह से मार्क टु मार्केट घाटे के चलते भी कंपनियों के लिए विदेशी ऋण पर ब्याज की दर में इजाफा हो गया। इतना ही नहीं, कुछ कंपनियों के मुनाफे में कमी निर्यात राजस्व की हेजिंग के कारण भी हुआ। इन कंपनियों ने रुपये की बढ़ती कीमत को देखकर हेजिंग शुरू कर दी, जबकि मार्च 2008 के बाद से रुपये की कीमत में लगातार गिरावट आ रही है।
सर्वेक्षण में शामिल कंपनियों में 401 का प्रदर्शन तिमाही के दौरान शानदार रहा और उन्होंने शुद्ध मुनाफे में अच्छा खासा इजाफा दिखाया। 39 कंपनियां ऐसी भी थीं, जो पिछले वर्ष की दूसरी तिमाही के दौरान घाटे में थीं, लेकिन इस बार उन्होंने भी मुनाफा कमाया।
बाकी 433 कंपनियों का मुनाफा कम हुआ या उन्हें घाटा हुआ। उनकी शुद्ध बिक्री में 25.90 फीसद का इजाफा हुआ, जबकि सर्वेक्षण में शामिल सभी कंपनियों की शुद्ध बिक्री में बढ़ोतरी का आंकड़ा 31.74 फीसद रहा। इन कंपनियों की निर्माण लागत भी 35.59 फीसद बढ़ी, जिससे उनका मार्जिन 638 आधार अंक गिरकर 10.64 फीसद ही रह गया। इसलिए ताज्जुब नहीं है कि खराब प्रदर्शन वाली कंपनियों के शुद्ध मुनाफे में 49.9 फीसद की कमी आ गई।
लाभ वाली कंपनियों का मुनाफा 30.42 फीसद बढ़ा, जो पिछले साल (19.98 फीसद) और पिछली तिमाही (20.18 फीसद) के मुकाबले बहुत ज्यादा है। इन कंपनियों की शुद्ध बिक्री 35.46 फीसद बढ़ी और परिचालन मार्जिन 136 आधार अंक कम हुआ।
जिन 39 कंपनियों ने घाटे से उबरकर मुनाफे की मलाई चखी, उनका शुद्ध मुनाफा 277.22 करोड़ रुपये रहा। पिछली बार दूसरी तिमाही में इन्हीं कंपनियों को कुल 134.24 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ था। चालू वर्ष की पहली तिमाही में उनका मुनाफा 212.72 करोड़ रुपये था। इनकी शुद्ध बिक्री 57.31 फीसद बढ़ गई।
क्षेत्रवार देखें, तो वाहन कलपुर्जे, दोपहिया, बीयर और मदिरा, सीमेंट उत्पाद, रसायन, बुनियादी ढांचा, हीरा और आभूषण, बिजली उपकरण के साथ इंजीनियरिंग क्षेत्र की कंपनियों को तगड़ा मुनाफा हुआ। उर्वरक, प्रौद्योगिकी, लौह और अलौह धातुओं, पर्सनल केयर, औषधि, जहाजरानी और इस्पात क्षेत्र की प्रमुख कंपनियों ने भी दूसरी तिमाही में अच्छा मुनाफा कमाया।