भारती एयरटेल में विदेशी स्वामित्व को लेकर भ्रम पर ट्रेडर दूसरी बार बुरे फंसे। शुरुआती कारोबार में देश की दूसरी सबसे बड़ी ऑपरेटर कंपनी का शेयर 12.6 फीसदी तक उछल गया क्योंकि कंपनी ने सितंबर तिमाही में अच्छे नतीजे पेश किए थे और बाजार मेंं खबर थी कि इस कंपनी में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाकर 100 फीसदी कर दी गई है।
ग्राहक आधार में बढ़ोतरी और मार्जिन में सुधार से इस शेयर में बढ़ोतरी हुई और गिरते बाजार में यह 3.3 फीसदी की बढ़त के साथ बंद हुआ। हालांकि दिन के उच्चस्तर 488 रुपये से घटकर यह 448 रुपये पर आ गया क्योंकि विदेशी स्वामित्व को लेकर बाजार में फैली खबर गलत साबित हुई।
डीलिंग रूम में खबर थी कि डिपॉजिटरी फर्म एनएसडीएल ने एयरटेल में विदेशी स्वामित्व की सीमा 100 फीसदी तय की है। कई ब्रोकर ने यह अनुमान जताना शुरू कर दिया कि इसके कारण ईटीएफ की तरफ से 3,000 करोड़ रुपये की खरीद हो सकती है। हालांकि बाद में पता चला कि एनएसडीएल ने एयरटेल में एफपीआई की सीमा पर यथास्थिति बरकरार रखी है।
भारती एयरटेल को विदेशी निवेश बढ़ाकर 100 फीसदी करने की अनुमति मिली है। यह मंजूरी कुछ निश्चित शर्तों के साथ है, जो अनुपालन प्रक्रिया के तहत हैं और अभी विदेशी निवेश कुल सीमा 49 फीसदी होगी और एनएसडीएल के मुताबिक यह निवेश के मामले में यही स्थिति है। एनएसडीएल भारतीय कंपनियों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश की निगरानी करती है।
यह पहला मौका नहींं है। इससे पहले भी एयरटेल का शेयर ऐसे ही विवाद का शिकार हो चुका है। अगस्त में एयरटेल का शेयर तब गिर गया था जब एमएससीआई ने एमएससीआई इंडिया इंडेक्स में एयरटेल का भारांक 3.68 फीसदी से घटाकर 1.92 फीसदी कर दिया था। कई लोगों ने एमएससीआई की आलोचना की थी और कहा था कि एयरटेल के पास एफपीआई सीमा 100 फीसदी करने की मंजूरी है।
एमएससीआई ने तब कहा था, एमएससीआई भारती एयरटेल में विदेशी स्वामित्व की सीमा 100 फीसदी करने की मंजूरी को लेकर जागरूक है, जिसकी घोषणा साल की शुरुआत में हुई थी। हालांकि एमएससीआई इस मामले में प्रभावी तारीख को लेकर आम लोगों के बीच फैली खबर को लेकर जागरूक नहीं है।
बाजार के प्रतिभागियों ने कहा कि बाजार नियामक सेबी को इस मामले की जांच करनी चाहिए। एक विशेषज्ञ ने कहा, बाजार में कुछ लोग एयरटेल में एफपीआई सीमा को लेकर अस्पष्टता का फायदा उठा रहे हैं। सेबी को इसकी जांच करनी चाहिए कि क्या किसी ने इससे बेजा लाभ अर्जित किया है।
ऐसे में अभी एयरटेल में एफपीआई निवेश की सीमा कितनी है? एयरटेल ने सैद्धांतिक तौर पर सीमा 100 फीसदी कर दी है और इसे प्रभावी बनाने से पहले कंपनी को अपनी सहायक फर्मों में विदेशी निवेश सीमा को लेकर कुछ मसलों का निपटान करना होगा। तब तक विदेशी स्वामित्व की सीमा 49 फीसदी रहेगी।
