रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) और सॉफ्टबैंक गु्रप समर्थित ओला इलेक्ट्रिक को निविदा हासिल करने के बाद स्थानीय बैटरी सेल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए भारत के 2.4 अरब डॉलर के कार्यक्रम के तहत रियायत हासिल होगी। इस घटनाक्रम से अवगत अधिकारियों ने रॉयटर्स को बताया कि इससे स्थानीय तौर पर बैटरी उत्पादन को मजबूती मिलेगी।
सूत्रों ने नाम नहीं बताने के अनुरोध के साथ कहा कि बोली हासिल करने वाले बोलीदाताओं में हुंडई ग्लोबल मोटर्स कंपनी और भारतीय आभूषण निर्माता राजेश एक्सपोट्र्स जैसी कंपनियां मुख्य रूप से शामिल हैं।
भारतीय सरकार ने पिछले साल स्थानीय तौर पर बैटरी सेल बनाने के लिए कंपनियों को प्रोत्साहित करने वाले कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया था, क्योंकि वह अपने कार्बन-मुक्त लक्ष्यों को पूरा करने के लिए स्वच्छ परिवहन एवं अक्षय ऊर्जा भंडारण के लिए घरेलू आपूर्ति शृंखला स्थापित करने की संभावना पर जोर दे रही है। सरकार ने कार्बन उपस्थिति घटाने पर ध्यान दिया है।
अधिकारियों का कहना है कि ओला इलेक्ट्रिक और हुंडई को 20 गीगावॉट घंटे (जीडब्ल्यूएच) क्षमता के लिए रियायत मिलेगी, जबकि रिलायंस और राजेश एक्सपोट्र्स ने 5 जीडब्ल्यूएच के लिए रियायत हासिल करने की बोलियां जीती हैं। हालांकि इन अधिकारियों ने वित्तीय वैल्यू के बारे में जानकारी नहीं दी है।
रिलायंस और राजेश एक्सपोट्र्स ने इस बारे में पूछे गए सवालों का तुरंत कोई जवाब नहीं दिया है। हुंडई ग्लोबल से इस संबंध में तुरंत संपर्क नहीं किया जा सकता है। ओला के अधिकारी ने इस बारे में जानकारी नहीं दी कि क्या उसने बोली जीती है या नहीं, लेकिन उसने अपनी स्थानीय बैटरी निर्माण योजनाओं के बारे में बुधवार को की गई घोषणाओं के बारे में रॉयटर्स को बताया।
ओला इलेक्ट्रिक ने बुधवार को कहा कि उसने एलजी केम पावर के पूर्व प्रमुख प्रभाकर पाटिल को अपने बोर्ड में नियुक्त किया है और उसने 50 जीडब्ल्यूएच भंडारण क्षमता स्थापित करने की योजनाएं तैयार की हैं। बैटरी सेल निर्माण क्षेत्र पर कुछ खास एशियाई कंपनियों का दबदबा है, जिनमें सीएटीएल, एलजी एनर्जी सॉल्युशंस और पैनासोनिक मुख्य रूप से शामिल हैं जो भारतीय कंपनियों को निर्यात भी करती हैं।
सरकार घरेलू तौर पर उत्पादन चाहती है और उसने पांच साल के दौरान 50 जीडब्ल्यूएच बैटरी स्टोरेज क्षमता स्थापित करने की योजना बनाई है। करीब 10 कंपनियों ने 130 जीडब्ल्यूएच भंडारण क्षमता निर्माण के लिए बोलियां सौंपी हैं। इनमें वाहन निर्माता महिंद्रा ऐंड महिंद्रा, बैटरी निर्माता अमारा राजा और एक्साइड इंडस्ट्रीज, तथा इंजीनियरिंग दिग्गज लार्सन ऐंड टुब्रो मुख्य रूप से शामिल हैं। कुछ कंपनियां अपनी योजनाएं पहले ही तैयार कर चुकी हैं। रिफाइनिंग दिग्गज रिलायस ने करीब 20 करोड़ डॉलर में दो बैटरी कंपनियों – ब्रिटेन स्थित फैराडियन और लिथियम वक्र्स को खरीदा है। फैराडियन कंपनी सोडियम-आयन बैटरियों का निर्माण करती है।
एक्साइड ने लिथियम-आयन बैटरी निर्माण संयंत्र लगाने के लिए चीन की स्वोल्ट एनर्जी के साथ दीर्घावधि तकनीकी भागीदारी की है।
