मीडिया एवं मनोरंजन कंपनी ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज के बोर्ड और ओपनहाइमर के निवेश वाले इन्वेस्को फंड के बीच जारी कॉरपोरेट लड़ाई से प्रतिस्पर्धा कानून की परीक्षा होगी। इस कानून में कहा गया है कि यदि कोई निवेशक लक्षित कंपनी में नियंत्रण हासिल करना चाहता है तो उसे पहले भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) से मंजूरी लेनी होगी।
ज़ी के अधिकारियों का कहना है कि इन्वेस्को ने ज़ी के बोर्ड में अपने छह नामित निदेशकों की नियुक्ति के लिए सीसीआई से कोई मंजूरी नहीं ली है। कंपनी का कहना है कि सीसीआई की मंजूरी के बिना इन्वेस्को प्रतिस्पर्धा कानून 2002 का उल्लंघन कर रही है। ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज में इन्वेस्को की 18 फीसदी हिस्सेदारी है। फिलहाल वह ज़ी के बोर्ड के उस निर्णय के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रही है जिसके तहत उसके नामित निदेशकों की नियुक्ति के लिए असाधारण आम बैठक बुलाने की मांग को खारिज कर दिया गया है। ज़ी कंपनी में नियंत्रण हासिल करने संबंधी इन्वेस्को की येाजना के खिलाफ सीसीआई से शिकायत करने की योजना बना रही है।
कॉरपोरेट लॉ फर्म डीएसके लीगल के एसोसिएट पार्टनर अभिषेक सिंह बघेल ने कहा, ‘ज़ी के बोर्ड में निदेशकों की नियुक्ति के साथ ज़ी में अतिरिक्त शेयर हिस्सेदारी अथवा मतदान का अधिकार हासिल करने के लिए इन्वेस्को को सीसीआई से मंजूरी लेनी होगी। भारत में प्रतिसपर्धा नियामक का आकलन निर्णायक प्रभाव के बजाय भौतिक प्रभाव डालता है। ऐसे में इन्वेस्को को आगे किसी भी पूछताछ अथवा जुमार्ना से बचने के लिए सीसीआई से मंजूरी हासिल करने के लिए अवश्य संपर्क करना चाहिए।’
वकीलों ने कहा कि प्रतिस्पर्धा अधिनियम 2002 के तहत शेयर, नियंत्रण, मतदान के अधिकार अथवा परिसंपत्ति के किसी भी अधिग्रहण जो निर्धारित परिसंपत्ति अथवा कुल कारोबार की सीमा से अधिक है और जिसके लिए कोई छूट उपलब्ध नहीं है, के लिए भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग से मंजूरी लेना अनिवार्य है।
एक अन्य वकील ने अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर कहा, ‘अनुसूची 1 के आइटम 1 में कहा गया है कि यदि किसी अधिग्रहण के तहत लक्षित कंपनी में नियंत्रण हासिल नहीं किया जाता है तो उसे सीसीआई से मंजूरी लेने में छूट दी गई है। सीसीआई से मंजूरी के लिए इस नियम का फायदा उठाते हुए कंपनी पर नियंत्रण हासिल करने की कोशिश निवेशकों को नहीं करनी चाहिए। ऐसे में इन्वेस्को प्रतिस्पर्धा कानून 2002 के प्रावधानों का भी उल्लंघन कर रही है।’
ज़ी समूह के चैनल से बातचीत में ज़ी समूह के संरक्षक सुभाष चंद्रा ने संकेत दिया कि इन्वेस्को ज़ी की प्रतिस्पर्धी की ओर से कंपनी पर नियंत्रण हासिल करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा, ‘आप पुनीत गोयनका को हटाना चाहते हैं? ठीक है, लेकिन उसके आगे क्या? क्या आपने किसी से बातचीत की है? उनके द्वारा दिए गए 6 निदेशक- उनकी पृष्ठभूमि क्या है? क्या उनका किसी ऐसी कंपनी से संबंध है जो अधिग्रहण करना चाहती है?’ उन्होंने कहा, ‘इसलिए इन्वेस्को को पारदर्शी और खुले तौर पर सामने आना चाहिए और निर्णय शेयरधारकों पर छोड़ देना चाहिए।’
