देश में ढांचागत क्षेत्र की कंपनियों की बुनियाद हिल गई है। हाल में चरमराई जीवीके पावर ऐंड इन्फ्रास्ट्रक्चर इस बात का ताजातरीन उदाहरण है कि किस तरह 2014 के बाद बुनियादी क्षेत्र की कंपनियां लगातार सिकुड़ती जा रही हैं। वित्त वर्ष 2014 के मुकाबले ढांचागत क्षेत्र की 10 कंपनियों की नब्ज टटोलें तो इनमें छह दिवालिया हो गई हैं या फिर अपना वजूद बनाने के लिए संघर्ष कर रही हैं। इन कंपनियों का बाजार पूंजीकरण और राजस्व एवं मुनाफा तेजी से घट रहा है।
पिछले छह वर्षों में इन कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 70 प्रतिशत तक कम हो चुका है और इस अवधि के दौरान कम से कम चार कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 90 प्रतिशत से भी अधिक घट चुका है। इन 10 कंपनियों में केवल तीन- लार्सन ऐंड टुब्रो, एनसीसी और जीएमआर इन्फ्रा के बाजार पूंजीकरण में इस अवधि के दौरान इजाफा हुआ है।
मार्च 2014 से जीवीके पावर ऐंड इन्फ्रास्ट्रक्चर का बाजार पूंजीकरण 70 प्रतिशत तक कम हो गया है, हालांकि इसी अवधि के दौरान समेकित राजस्व में 60 प्रतिशत से अधिक इजाफा जरूर हुआ है। लगातार पांच वर्षों तक नुकसान झेलने के बाद वित्त वर्ष 2018 में यह मुनाफे में लौटी। कंपनी अब अपना हवाईअड्डा परिचालन कारोबार अदाणी समूह को बेचने के लिए राजी हो गई है। हवाईअड्डा परिचालन कारोबार से जीवीको समूह को 90 प्रतिशत तक राजस्व की प्राप्ति हो रही थी।
इसी तरह, 2014 में 20 ढांचागत कंपनियों में 12 वित्तीय संकट से गुजर रही हैं और पिछले छह वर्षों के दौरान उनके बाजार पूंजीकरण में 70 प्रतिशत से अधिक गिरावट आई है। इसी अवधि के दौरान इनमें 8 कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में 90 प्रतिशत से अधिक कमी आई है। एलऐंडटी को छोड़कर निर्माण एवं ढांचागत क्षेत्र की ज्यादातर कंपनियों के राजस्व एवं मुनाफे में गिरावट जारी है। उदाहरण के लिए जेपी एसोसिएट्स की शुद्ध बिक्री वित्त वर्ष 2020 में वित्त वर्ष 2014 के मुकाबले घटकर आधी रह गई। पिछले साल दिवालिया प्रक्रिया में शामिल होने से पहले पूंज लॉयड करीब 60 प्रतिशत तक फिसल गया थी। गैमन इंडिया और आईवीआरसीएल की भी ऐसी ही हालत रही है। आईएलऐंडएफएस इंजीनियरिंग और इरा इन्फ्रा के राजस्व में वित्त वर्ष 2014 और 2019 के बीच 70 प्रतिशत तक गिरावट आई थी। ये सभी कंपनियां इस समय दिवालिया समाधान प्रक्रिया से गुजर रही हैं। अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन करने वाली जीएमआर इन्फ्रा की समेकित शुद्ध बिक्री भी वित्त वर्ष 2014 से 20 प्रतिशत कम हो गई है। इसने लगतार छह वर्षों से शुद्ध नुकसान दर्ज किया है।
यह विश्लेषण वित्त वर्ष 2014 के राजस्व के लिहाज से शीर्ष 20 निर्माण एवं बुनियादी ढांचा क्षेत्र की कंपनियों पर आधारित है।
बुनियादी क्षेत्र में दो सबसे अधिक मूल्यवान कंपनियों एलऐंडटी और जीएमआर इन्फ्रा को छोड़कर अन्य 8 कंपनियों का बाजार पूंजीकरण पिछले छह वर्षों में 84 प्रतिशत फिसल चुका है।
ये आंकड़े देश में इस क्षेत्र की कंपनियों की वित्तीय परेशानियों की ओर सीधा इशारा करते हैं। अपने मौजूदा 1.32 लाख करोड़ रुपये बाजार पूंजीकरण के साथ एलऐंडटी इस क्षेत्र की 19 कंपनियों के संयुक्त बाजार पूंजीकरण के मुकाबले 4 गुना बड़ी है। विश्लेषक निर्माण एवं बुनियादी क्षेत्र की कंपनियों की बिगड़ती हालत के लिए अर्थव्यवस्था में निवेश की कमी और इन कंपनियों पर अधिक कर्ज बोझ को जिम्मेदार मानते हैं।
इक्विनॉमिक्स रिसर्च ऐंड एडवाइजरी सर्विसेस के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक जी चोकालिंगम कहते हैं,’पिछले कुछ वर्षों में सार्वजनिक एवं निजी निवेश में खासी कमी आई है, जिससे कंपनियों का बहीखाता बिगड़ गया है। इनके पास नकदी आनी बंद हो गई है, जिससे कर्ज के जाल में फंसती जा रही हैं।’