उस बाजार को नजरअंदाज करना संभव नहीं है, जिसमें दुनिया का हर आठवां आदमी शामिल हो।
एक आंकड़े के मुताबिक, ग्रामीण उपभोक्ताओं की आमदनी बढ़ रही है और इसी वजह से उनका उपभोक्ता वस्तुओं (एफएमसीजी) पर खर्च भी बढ़ रहा है।
भारत में एफएमसीजी क्षेत्र कारोबार के हिसाब से चौथा सबसे बड़ा सेक्टर है। एफएमसीजी का बाजार 1,10,000 करोड़ रुपये का है। उम्मीद की जा रही है कि 2014 तक इसका बाजार बढ़कर 1,85,000 करोड़ रुपये हो जाएगा।
रुरल मार्केटिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आरएमएआई) के एक हालिया अध्ययन में यह बताया गया है कि लगातार चौथे साल कृषि में विकास की वजह से ग्रामीण आमदनी में इजाफा हुआ है। सरकार भी ग्रामीण विकास जैसी कई पहल को अंजाम दे रही है, जिससे ग्रामीण उपभोक्ताओं की स्थिति मजबूत हुई है।
हिन्दुस्तान यूनिलीवर और आईटीसी जैसी दिग्गज एफएमसीजी कंपनियां ग्रामीण क्षेत्र में क्रमश: शक्ति और ई-चौपाल जैसी पहल के जरिये ग्रामीण उपभोक्ताओं को आकर्षित करने में जुटी हुई है। दूसरी कंपनियां भी ग्रामीण क्षेत्र पर काबिज होने की कवायद में जुटी हुई है।
मिसाल के तौर पर डाबर ग्रामीण बाजार में पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स, टॉयलेट उत्पाद, साबुन और सॉफ्ट ड्रिंक उतारने का निर्णय कर चुकी है। डाबर इंडिया के सीईओ सुनील दुग्गल ने कहा, ‘ग्रामीण बाजार शहरी बाजार की तुलना में ज्यादा तेजी से विकास कर रहा है। हमलोग ग्रामीण क्षेत्र के उपभोक्ताओं की जरूरत के मुताबिक उत्पाद तैयार करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
उनकी खर्च शैली का भी हम अध्ययन कर रहे हैं। अगर हम ग्रामीण बाजारों पर काबिज होते हैं, तो कंपनी अच्छा विकास करेगी।’ कंपनी की आधी बिक्री ग्रामीण क्षेत्रों में होती है। इसलिए डाबर ने ‘आस्ट्रा’ (एडवांस्ड सेल्स ट्रेनिंग फॉर रिटेल एसेनडेंसी) नाम से बंगाली, तमिल, तेलुगु, मलयालम और कन्नड़ में एक प्रशिक्षण कंसल्टेंसी कार्यक्रम भी चला रही है।
इस पहल के तहत डाबर ने 75 सेल्स मैनेजरों और 2000 से अधिक डिस्ट्रीब्यूशन चैनल पार्टनर की नियुक्ति की है, जो ऑडियो विजुअल माध्यम के जरिये लोगों को उत्पाद के महत्व को समझाते नजर आएंगे। मैरिको ने ग्रामीण क्षेत्र की मांग को ध्यान में रखते हुए पैराशूट तेल की 4 रुपये वाली पैक बाजार में उतारी है।
मैरिको की कंज्यूमर प्रोडक्ट्स बिजनेस के सीईओ सौगत गुप्ता ने कहा, ‘मैरिको ने ग्रामीण क्षेत्र में सुपर डिस्ट्रीब्यूटर्स का इस्तेमाल किया है, क्योंकि कंपनी की कुल बिक्री का 25 फीसदी इसी क्षेत्र में होता है। वित्तीय वर्ष 2010 में कंपनी कुछ चुनिंदा ग्रामीण बाजारों पर ध्यान केंद्रित करेगी।’
दूसरी तरफ इमामी महाराष्ट्र की डाक विभाग के साथ जुड़कर अपने उत्पाद को ग्रामीण बाजार में पेश कर रही है, जबकि आईटीसी उपभोक्ताओं को आकर्षित करने के लिए तरह तरह के नुस्खे अपना रही है। इन कंपनियों ने इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के साथ भी हाथ मिलाया है,।
