कॉफी डे एंटरप्राइजेज (सीडीईएल) द्वारा मार्च तिमाही में कर्ज भुगतान में चूक करने की घोषणा के बाद भारतीय ऋणदाता ऋण समाधान के लिए कंपनी को राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट (एनसीएलटी) में ले जाने पर विचार कर रहे हैं। मार्च 2021 तिमाही में स्टॉक एक्सचेंज को दी गई सूचना के अनुसार सीडीईएल पर कुल 280 करोड़ रुपये का बकाया था। कंपनी ने कर्ज भुगतान में देरी के पीछे नकदी का संकट बताया है। कंपनी पर कुल 518 करोड़ रुपये का कर्ज है। ऋणदाताओं ने अपने बकाये की वसूली के लिए कंपनी की सहायक इकाइयों के गिरवी शेयरों को भुना लिया है।
इस बारे में जानकारी के लिए सीडीईएल को ईमेल भेजा गया लेकिन खबर लिखे जाने तक कंपनी का कोई जवाब नहीं आया।
ऋणदाता से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि कंपनी अपनी फ्रंट-एंड वेंडिंग मशीन तथा स्टोर संपत्तियां टाटा समूह को बेचने की योजना बना रही थी लेकिन वर्तमान प्रबंधन द्वारा ज्यादा कीमत मांगे जाने से बात नहीं बन पाई। सौदे से जुड़े सूत्र ने कहा, ‘मूल्यांकन में करीब 1,000 करोड़ रुपयेे का अंतर था।’ अगर कंपनी दिवालिया अदालत में जाती है तो इसका मतलब होगा कि इक्विटी शेयरधारकों के लिए मूल्यांकन शून्य हो जाएगा ओर ऋणदाताओं को भी भारी नुकसान उठाना होगा। कंपनी के शेयर को पहले ही कारोबार से रोक दिया गया है।
प्रवर्तक वीजी सिद्घार्थ की जुलाई 2019 में मृत्यु के बाद से ही कंपनी वित्तीय संकट से जूझ रही है। पिछले साल 24 जुलाई को सीडीईएल द्वारा की गई जांच में पता चला कि प्रवर्तक इकाई पर 31 जुलाई, 2019 तक सीडीईएल का 3,535 करोड़ रुपये का बकाया था। बाद में रिपोर्ट में बताया गया कि सहायक इकाइयों पर सीडीईएल का 842 करोड़ रुपये का बकाया था और बाकी 2,693 करोड़ रुपये वृद्घिशील बकाया थी। इसके बाद निदेशक मंडल ने उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश केएल मंजूनाथ को प्रवर्तक इकाइयों से बकाया वसूली के उपाय तलाशने के लिए नियुक्त किया।
समूह ने अपनी हिस्सेदारी माइंडट्री को 1,975 करोड़ रुपये में बेचकर ऋणदाताओं के कर्ज का कुछ हिस्सा चुकाया था। पिछले साल सितंबर तक समूी पर करीब 3,100 करोड़ रुपये का बकाया था और वह कर्नाटक में अपने कॉफी बागनों को बेचने की संभावना तलाश रहा है। कंपनी का कारोबार जब अच्छा चल रहा था तो पूरे देश में इसके 1,700 स्टोर थे, जो स्टारबक्स की तुलना में करीब 10 गुना ज्यादा थे। इसमूह ने पिछले साल मार्च में बेंगलूरु का आईटी पार्क ब्लैकस्टोन को 2,700 करोड़ रुपये में बेच दिया था। इससे मिली रकम से 13 बैंकों के कर्ज का भुगतान किया गया था। कंपनी आंशिक रूप से बकाये का भुगतान कर रही थी लेकिन कोरोना महामारी और लॉकडाउन की वजह से इसके सभी स्टोर बंद हो गए थे।
