चाय के सबसे बड़े निर्यातक भारत में उत्पादन बढ़ने के बावजूद चाय की कीमतों में इजाफा देखा जा रहा है। तकरीबन 149 साल से चाय का कारोबार कर रही डंकंस टी लिमिटेड भी इन्हीं दिक्कतों से गुजर रही है। लगभग 2,000 करोड़ रुपये के डंकन-गोयनका समूह की यह प्रमुख कंपनी बाजार के बड़े हिस्से पर कब्जा करने के लिए रीब्रांडिंग और विस्तार में जुटी हुई है। कंपनी के मुख्य परिचालन अधिकारी एम सी अप्पैया से उद्योग की सूरत, चुनौतियों और उनकी रणनीति के बारे में ऋषभ कृष्ण सक्सेना ने बात की। पेश हैं मुख्य अंश :
चाय बोर्ड के मुताबिक इस साल भारत में उत्पादन बढ़ने जा रहा है। लेकिन चाय कंपनियां लगातार कीमतें बढ़ा रही हैं। ऐसा क्यों?
बेशक चाय का उत्पादन बढ़ने जा रहा है। पिछले साल यहां 95 करोड़ किलोग्राम चाय का उत्पादन हुआ था। हमने भी पिछले साल 12,000 टन चाय का उत्पादन किया था और इस साल इसमें 20 फीसद इजाफे की हमें उम्मीद है। लेकिन कीमतें हमारे हाथ में नहीं होतीं। उत्पादन के साथ निर्यात भी बढ़ता जा रहा है, इसी वजह से देश में चाय की कमी हो गई है। ऐसे में कीमत बढ़ना तो लाजिमी है।
क्या केवल निर्यात की वजह से ही कीमतें बढ़ रही हैं?
नहीं। दरअसल भारत के बाद केन्या सबसे बड़ा चाय उत्पादक देश है। वहां सूखे की वजह से उत्पादन बहुत कम हुआ और विदेशों में मांग को भारत से पूरा किया गया। जब यहां चाय की कमी हुई, तो केन्या से उसे मंगाया, जो आयातित होने के कारण महंगी रही।
एक और कारण ईरान है। दरअसल ईरान में सीटीसी के बजाय पारंपरिक चाय ज्यादा पसंद की जाती है, जबकि भारत में सीटीसी चाय का इस्तेमाल होता है। ईरान में मांग बढ़ने से भारत में भी सीटीसी चाय की खेती कुछ कम कर दी गई। इस वजह से भी यहां चाय के दाम बढ़ गए।
कीमतों के लिहाज से आपको आगे की तस्वीर कैसी दिख रही है। क्या कीमतों में उछाल का दौर जारी रहेगा?
जी हां। सीटीसी चाय के दाम तो बढ़ेंगे। सर्दियों में वैसे भी चाय की मांग बढ़ जाती है, इसीलिए सभी कंपनियां दाम बढ़ाएंगी। हम भी उनसे अलग नहीं हैं। पैकेजिंग महंगी होने के कारण भी चाय महंगी हो रही है। अगर आम आदमी अच्छी चाय चाहता है, तो उसे ज्यादा कीमत अदा करने के लिए भी तैयार रहना चाहिए।
भारत में चाय उद्योग के सामने क्या चुनौतियां हैं?
सबसे बड़ी चुनौती तो गुणवत्ता और कीमत के समीकरण को संभालकर रखना है। नामी कंपनियां गुणवत्ता से समझौता नहीं कर सकतीं, इसलिए उनके ब्रांड महंगे हो रहे हैं। हम कोशिश कर रहे हैं कि लागत को बर्दाश्त कर लें, लेकिन ज्यादा समय तक ऐसा हो नहीं पाएगा।
दूसरी बड़ी चुनौती खुली चाय की बिक्री है। अगर चाय की कीमत ऐसे ही बढ़ती रही, तो आर्थिक रूप से कमजोर ग्राहक खुली चाय की तरफ बढ़ सकते हैं, जिसकी कीमत मुश्किल से 50 रुपये प्रति किलोग्राम होती है। ऐसे ग्राहकों को रोककर रखना हमारे लिए बहुत बड़ी चुनौती होगी।
इस चुनौती से निपटने के लिए डंकंस टी क्या कर रही है?
हम रिटेल के मोर्चे पर ज्यादा मेहनत कर रहे हैं। तमाम रिटेल दिग्गजों के साथ तो हमारा करार पहले से ही है, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम के साथ भी हमने करार किया है। उनके पेट्रोल पंपों पर हमारी चाय बिकेगी।
इसके अलावा डाक विभाग से भी हमारी बातचीत चल रही है। हमें उम्मीद है कि हमारे वितरण चैनल में साल भर में 25 फीसद इजाफा हो जाएगा। इसके अलावा हम रीब्रांडिंग भी कर रहे हैं। डबल डायमंड का ब्रांड हम बाजार में ला चुके हैं। दीपावली तक शक्ति, सुपर शक्ति और सरगम जैसे लोकप्रिय ब्रांडों को दोबारा उतारने की हमारी योजना है।
