टाटा स्टील के चेयरमैन नटराजन चंद्रशेखरन ने उम्मीद जताई कि महंगाई को नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा इस उद्योग के संबंध में उठाए गए कदम अल्पावधिक हैं। उन्होंने संकेत दिया कि कंपनी अपनी विस्तार योजनाओं की रफ्तार धीमी नहीं करेगी।
कंपनी की सालाना आम बैठक को संबोधित करते हुए टाटा स्टील और होल्डिंग कंपनी टाटा संस के चेयरमैन ने कहा कि भारत का इस्पात उद्योग दुनिया भर में प्रतिस्पर्धी है, इसलिए भारतीय कंपनियां भारत और वैश्विक बाजार के लिए मूल्य संवर्धित इस्पात उत्पाद बनाने में अपनी क्षमता आगे भी बढ़ाती रहेंगी। उन्होंने कहा, ‘यह इस लिहाज से बदलावकारी क्षण है कि इस्पात उद्योग अपनी प्रतिस्पर्धी स्थिति का फायदा उठा सकता है और न केवल विदेशी मुद्रा अर्जित करने के लिए अपने उत्पादों का निर्यात कर सकता है बल्कि भारत में पूंजी निर्माण का मौका मुहैया करा सकता है, रोजगार मुहैया करा सकता है और भारतीय कंपनियों को लंबी अवधि के लिए मूल्य सृजन का मौका मुहैया करा सकता है।’
उनका बयान ऐसे समय आया है, जब इस्पात उद्योग पर पिछले महीने सरकार द्वारा 15 फीसदी निर्यात शुल्क लगाए जाने का प्रतिकूल असर पड़ा है। इस शुल्क की वजह से इस्पात की कीमतों में 15 फीसदी गिरावट आई है। चंद्रशेखरन ने कहा कि दुनिया भर में इस्पात की मांग मजबूत है। उन्होंने कहा, ‘फिलहाल निर्यात शुल्क की वजह से हमें चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन आने वाले समय में भारत घरेलू मांग पूरी करने के बाद इस्पात का शुद्ध निर्यातक रहेगा।’
