सरकार के राहत पैकेज और आवास ऋण में कटौती करने की सरकारी बैंकों की घोषणा से सीमेंट उद्योग को काफी उम्मीदें हैं। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि इससे सीमेंट उद्योग की बिक्री को काई खास मजबूती नहीं मिलेगी।
घरेलू सीमेंट कंपनियां हर साल करीब 20.65 करोड़ टन सीमेंट का उत्पादन करती हैं। पिछले करीब एक दशक से सीमेंट उद्योग सबसे तेज दर से विकास कर रहा था। इस साल भी उद्योग की विकास दर 9-10 फीसदी के आसपास ही रहने के अनुमान लगाए जा रहे थे।
लेकिन यह विकास दर 7 फीसदी से आगे ही नहीं बढ़ पाई। एक घरेलू ब्रोकरेज कंपनी के विश्लेषक ने कहा, ‘उद्योग की बुनियादी बातों में कोई बदलाव नहीं आया है। आने वाले दो साल तक सीमेंट उद्योग की विकास दर कम ही रहने वाली है।’
सीमेंट उद्योग की विकास दर देश की जीडीपी दर से सीधे तौर पर जुड़ी होती है। आम तौर पर यह दर जीडीपी से 1.5-2 फीसदी ही अधिक रहती है।
एक और विशेषज्ञ ने बताया, ‘अगले वित्त वर्ष के लिए जीडीपी की संभावित दर 7 फीसदी से घटकर 6 फीसदी होने की आशंका है। ऐसे में सीमेंट उद्योग की विकास दर 10 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकती है।’
विशेषज्ञों का मानना है कि रियल एस्टेट क्षेत्र को राहत पैकेज मिलने से सीमेंट उद्योग की मौजूदा विकास दर बरकरार रहेगी इसमें कोई बढ़ोतरी नहीं होगी। मंदी के कारण दूसरे क्षेत्रों की तरह सीमेंट उद्योग की बिक्री में ज्यादा कमी नहीं आई है।
अप्रैल-नवंबर छमाही में सीमेंट उद्योग ने अपनी क्षमता में 80 लाख टन का इजाफा किया है। इस दौरान सीमेंट की बिक्री बढ़कर 11.46 करोड़ टन तक पहुंच गया है।