दैनिक उपभोग के सामान बनाने वाली कंपनी केविनकेअर ने अपने कारोबार के पुनर्गठन की दिशा में कदम बढ़ाते हुए अगली पीढ़ी को ई-कॉमर्स एवं खुदरा कारोबार की कमान सौंपने की घोषणा की है।
केविनकेअर के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक सी के रंगनाथन ने कारोबार को चार अलग समूहों – एफएमसीजी, ई-कॉमर्स, खुदरा और शोध एवं अनुसंधान में बांटे जाने की सोमवार को घोषणा की। कंपनी की तरफ से इस बदलाव को केविनकेअर 2.0 का नाम दिया गया है जिसे प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लाने की दिशा में उठाया गया कदम भी माना जा रहा है।
कंपनी के मौजूदा निदेशक वेंकटेश विजयराघवन को समूह मुख्य कार्याधिकारी बनाने के साथ ही एफएमसीजी कारोबार की कमान सौंपी गई है। चेयरमैन रंगनाथन के बेटे मनुरंजीत रंगनाथन के पास खुदरा कारोबार की कमान होगी जबकि रंगनाथन की बेटी अमुधवली रंगनाथन ई-कॉमर्स कारोबार की अगुआई करेंगी। शोध एवं विकास खंड का प्रभार रंगनाथन के पास ही बना रहेगा।
जब रंगनाथन से यह पूछा गया कि क्या नए बदलाव उत्तराधिकार सौंपने की दिशा में उठाए गए कदम हैं तो उन्होंने सकारात्मक उत्तर देते हुए कहा, ‘जरूर, लोगों को कहीं तो सीखना ही चाहिए। ‘ डेयरी, अस्पताल, बेकरी एवं सैलून खंडों के प्रभारी मनुरंजीत अपने पिता को सीधे रिपोर्ट करेंगे जबकि उनकी बहन अमुधवली विजयराघवन को रिपोर्ट करेंगी। रंगनाथन ने उम्मीद जताई कि इस कारोबार पुनर्गठन से अगले कुछ वर्षों में टर्नओवर को 5,000 करोड़ रुपये तक पहुंचाने में मदद मिलेगी। अगले तीन वर्षों में केविनकेअर करीब 900 करोड़ रुपये का निवेश भी करने की तैयारी में है।
रंगनाथन ने कहा, ‘एफएमसीजी कारोबार अब भी काफी बड़ा होगा लेकिन डेयरी के पास उससे आगे निकलने का मौका होगा। डेयरी क्षेत्र में करीब 400 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा जबकि बाकी निवेश ई-कॉमर्स, अस्पताल एवं खुदरा कारोबार के विस्तार में होगा। ‘
फिलहाल केविनकेअर समूह का राजस्व करीब 1,700 करोड़ रुपये का है। रंगनाथन ने कहा, ‘महामारी की वजह से हमारे कारोबार पर असर पडऩे से राजस्व में निश्चित रूप से गिरावट आई है। अगर ऐसा नहीं हुआ रहता तो हम अब तक 2,250 करोड़ रुपये के राजस्व तक पहुंच गए रहते। हमारा कारोबार कोविड-पूर्व के 92 फीसदी स्तर तक ही पहुंच पाया है।’
कंटेनरों की किल्लत बढऩे और कच्चे माल की कीमतों में हो रही वृद्धि पर चिंता जताते हुए रंगनाथन ने कहा कि कंपनियां इन दोनों ही कारोबारों में ‘कार्टेल’ की तरह काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि इसकी वजह से केविनकेअर मांग नहीं पूरा कर पा रही है और कंटेनरों की किल्लत से आयात-निर्यात पर भी असर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों की बढ़ती कीमतें भी एफएमसीजी कारोबार पर दबाव बढ़ा रही हैं। उन्होंने संकेत दिए कि कंपनी इस बोझ का कुछ हिस्सा उपभोक्ताओं पर भी डाल सकती है।