केयर्न ऑयल ऐंड गैस चाहती है कि सरकार मौजूदा 70 फीसदी लेवी को घटाकर 40 फीसदी करते हुए तेल एवं गैस उद्योग में पुराने कुओं से उत्पादन बढ़ाने की तकनीक को प्रोत्साहित करे। अनिल अग्रवाल के नेतृत्व वाले वेदांत समूह की इकाई ने उम्मीद जताई है कि सरकार यदि उत्पादन वृद्धि (ईआर) नीति में बदलाव को मंजूरी देती है तो उसके निवेश पर करीब 4 अरब डॉलर की वसूली हो सकती है।
केयर्न ऑयल ऐंड गैस के डिप्टी सीईओ प्रचूर शाह ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘मौजूदा योगदान राजस्व का करीब 70 फीसदी (ईआर की तैनाती के बाद तेल एवं गैस उत्पादन से) है क्योंकि लेवी ने कई परियोजनाओं को अव्यवहार्य बना दिया है। हम चाहते हैं कि इसे किसी प्रकार 40 फीसदी के स्तर तक घटाया जाए। हमारे पास कई परियोजनाएं तैयार हैं जो इन मुद्दों के निपटने के साथ ही निवेश कर सकती हैं।’ शाह इस सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने गए उद्योग प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे।
हालांकि ईआर नीति की मंशा देश में उन पुराने कुओं से तेल एवं गैस का उत्पादन बढ़ाना है जहां अपेक्षित उत्पादन नहीं हो पा रहा है। भारत में तेल एवं गैस का उत्पादन घट रहा है और उत्खनन कंपनियां राजकोषीय राहत के लिए लॉबिइंग कर रही हैं। ईआर नीति के तहत सरकार ने उत्पादन वृद्धि (आईआर) तकनीक एवं गैर-पारंपरिक हाइड्रोकार्बन (यूएचसी) उत्पादन तरीकों पर प्रोत्साहन की पेशकश की है।
शाह ने कहा, ‘हमने सुझाव दिया है कि नेल्प-पूर्व ब्लॉकों के संबंध में ईआर नीति में मामूली बदलाव करने की आवश्यकता है। मैं समझता हूं कि मंजूरी अब अंतिम चरण में है।’ नेल्प-पूर्व ब्लॉकों का आवंटन नामांकन प्रणाली के तहत किया गया था और देश के तेल एवं गैस उत्पादन में उसका उल्लेखनीय योगदान रहा है।
मंगला, भाग्यम और ऐश्वर्या (एमबीए) ऐसे ही क्षेत्र हैं जहां केयर्न ऑयल ऐंड गैस ने सरकारी तेल एवं गैस उत्खनन कंपनी ओएनजीसी के साथ साझेदारी की है। देश के कुल कच्चे तेल के उत्पादन में इस ब्लॉक का योगदान करीब 30 फीसदी है। उद्योगपतियों के साथ बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि देश घरेलू तेल एवं गैस ब्लॉक से उत्पादन बढ़ाना चाहती है न कि राजस्व।
शाह ने कहा, ‘राजस्थान ब्लॉक में केयर्न ऑयल ऐंड गैस द्वारा काम शुरू करने के बाद से अब तक करीब 12 अरब डॉलर का निवेश किया गया है। इसमें उत्खनन एवं उत्पादन दोनों मोर्चों पर किया गया निवेश शामिल हैं। यदि ये मामूली बदलाव कर दिए जाते हैं और कर ढांचे को निर्धारित कर दिया जाता है तो केयर्न ऑयल ऐंड गैस को तत्काल 3 से 4 अरब डज्ञॅलर की वसूली हो जाएगी। इस रकम का निवेश तेल एवं गैस उत्पादन की नई परियोजनाओं में किया जा सकता है।’
मौजूदा नीति की खामियों का उल्लेख करते हुए शाह ने कहा, ‘हम बढ़े हुए तेल उत्पादन को व्यवहार्य बनाने के लिए कह रहे हैं। हम लेवी ढांचे को सही बनाने के तरीके पर सरकार के साथ काम कर रहे हैं।’
ओपन एकरेज लाइसेंसिंग पॉलिसी (ओएएलपी) बोली दौर में भी केयर्न ऑयल ऐंड गैस सबसे बड़ी प्रतिभागी थी। उसने इसके तीन दौर की बोलियों के बाद 51 ब्लॉक हासिल किए। लेकिन कोविड वैश्विक महामारी के कारण इन ब्लॉकों में उत्पादन संबंधी गतिविधियों को झटका लगा। कुछ उत्खनन कंपनियां भी न्यूनतम कार्य कार्यक्रम (एमडब्ल्यूपी) में रियायत दिए जाने की मांग कर रही हैं। ओएलएपी ब्लॉकों से उत्पादन शुरू करने के लिए सख्त समय-सीमा निर्धारित की गई है। एक सवाल के जवाब में शाह ने कहा, ‘केयर्न ऑयल ऐंड गैस ने एमडब्ल्यूपी प्रतिबद्धता में कमी करने की मांग कभी नहीं की
है। हमने केवल कोविड संबंधी व्यवधान के मद्देनजर उत्खनन चरण के लिए समय-सीमा में विस्तार के लिए कहा है।’