भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने सार्वजनिक क्षेत्र की 4 बीमा कंपनियों (पीएसआईसी) द्वारा स्वास्थ्य बीमा निपटान के प्रॉसेसिंग में चूक पाई है। इसमें पर्याप्त जांच के अभाव में एक ही दावे का कई बार भुगतान (मल्टिपल क्लेम सेटलमेंट), बीमित राशि से ज्यादा भुगतान, किसी खास बीमारी के लिए भुगतान की अधिकतम सीमा के उल्लंघन जैसे मामले शामिल हैं।
इन 4 बीमाकर्ताओं में न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (एनआईएसीएल), यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (यूआईआईसीएल), ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (ओआईसीएल) और नैशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (एनआईसीएल) को स्वास्थ्य बीमा पोर्टफोलियो से 2016-17 से 2020-21 के दौरान समूह स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों के मद में कुल 26,364 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है, जिसमें लिया जाने वाला प्रीमियम कम होता है और खुदरा पॉलिसियों की तुलना में दावों का भुगतान ज्यादा करना पड़ता है।
सीएजी ने ‘थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर्स (टीपीए) इन हेल्थ इंश्योरेंस बिजनेस आफ पब्लिक सेक्टर इंश्योरेंस कंपनीज’ पर अपनी रिपोर्ट में कहा कि बीमाकर्ता और टीपीए दोनों द्वारा दावों की प्रॉसेसिंग डिजिटल तरीके से की गई, लेकिन पीएसयू बीमाकर्ताओं की आईटी व्यवस्था में पर्याप्त मात्रा में जांच व नियंत्रण का अभाव था।
इसकी वजह से मल्टिपल क्लेम सेटलमेंट, बीमित राशि से ज्यादा के भुगतान, विशेष बीमारियों के लिए इंतजार की अवधि के नियम की उपेक्षा करने के कारण अतिरिक्त भुगतान, दावे की राशि को लेकर गलत आकलन, इंप्लांट्स पर अनियमित भुगतान, देरी से निपटान पर ब्याज का भुगतान न किए जाने जैसे चूक शामिल हैं।
ऑडिटर ने पाया कि न्यू इंडिया एश्योरेंस और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस ने पॉलिसी नंबर, बीमित व्यक्ति के नाम, लाभार्थी के नाम, अस्पताल में भर्ती की तिथि, बीमारी का कोड, अस्पताल का नाम व बीमारी एक ही रहने के बावजूद अलग अलग तिथियों पर एक से अधिक बार भुगतान किया।
न्यू इंडिया इंश्योरेंस के 4.93 करोड़ रुपये के करीब 792 मामले पकड़े गए हैं, जिसमें कई बार भुगतान हुआ। वहीं यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस ने 12,532 ऐसे मामलों में 8.60 करोड़ रुपये भुगतान किए हैं। इसके अलावा न्यू इंडिया एश्योरेंस के 139 मामले ऐसे पकड़े गए हैं, जहां बीमित राशि से ज्यादा भुगतान किया गया है, जिसमें बोनस शामिल है, कंपनी ने इस मद में 33 लाख रुपये भुगतान किए। यूनाइटेड इंडिया ने ग्रुप क्लेम सहित 2,224 मामलों में बीमित राशि से ज्यादा भुगतान किया और इस एवज में कुल 36.13 करोड़ रुपये भुगतान किए गए हैं।
ऑडिटर ने कहा कि पीएसयू बीमा कंपनियों का अपने अस्पतालों का नेटवर्क है, जिसे प्रीफर्ड प्रोवाइडर नेटवर्क (पीपीएन) कहा जाता है, लेकिन 10 साल बाद भी पीपीएन के तहत अस्पतालों का पंजीकरण अपर्याप्त है।
4 सरकारी पीएसयू बीमकर्ताओं का पीपीएन समझौता सिर्फ 2,552 अस्पतालों से है, जबकि स्टार हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी के नेटवर्क में 9,900 अस्पताल और एचडीएफसी इर्गो जनरल इंश्योरेंस कंपन के नेटवर्क में 10,000 अस्पताल हैं।
