भले ही कानपुर के उद्योगपति मौजूदा आर्थिक मंदी से लड़ने के लिए कमर कस रहे हों लेकिन सच तो यही है कि मुद्रास्फीति के दबावों की वजह से उनके लाभ मार्जिन में सेंध लगती जा रही है।
पिछले कुछ महीनों में डॉलर के मुकाबले रुपये में आई कमजोरी और मूल्य संवर्धित कर (वैट) की आसमान छूती दरों की वजह से शहर के 24 से भी अधिक छोटे औद्योगिक इकाइयों पर ताला लग चुका है।
भारतीय उद्योग संघ (आईआईए) कानपुर चैप्टर के अध्यक्ष सुनील वैश्य ने बताया कि विदेशों के साथ-साथ घरेलू बाजारों में ऑडरों में आई जबरदस्त गिरावट की वजह से शहर की करीब 2500 औद्योगिक इकाइयां गहरी मुसीबतों का सामान कर रही हैं। और यही वजह है कि उनके लाभ मार्जिन में गिरावट देखने को मिल रही है।
वैश्य ने विस्तार से बताया, ‘ऑटोमोबाइल उपकरणों और प्लास्टिक विनिर्माण के लिए बड़े पैमाने पर कच्चे माल का निर्यात विदेशों से ही किया जाता है लेकिन डॉलर के मुकाबले रुपये के कमजोर पड़ने के कारण उत्पादन लागत काफी बढ़ गई है।’
ग्राहक लक्जरी उत्पादों की मांग करते हैं, जिसमें कि पिछले साल की तुलना में उनके मांग में आधी तक की कमी आ गई है। शहर में उत्पादन के जरिए हर महीने 6,000 करोड़ रुपये की उगाही की जाती थी लेकिन अब यह घटकर 3,000 करोड़ रुपये रह गई है।
डॉलर के मुकाबले रुपये के कमजोर पड़ने की वजह से उत्पादन लागत में 20-25 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। वैश्य ने बताया, ‘घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऐसी परिस्थिति में जीवित रह पाना स्थानीय निर्माताओं के लिए काफी मुश्किल होता जा रहा है।’
शहर की करीब 2,500 बड़ी और छोटी औद्योगिक इकाइयों ने अपने उत्पादन में संभवत: 50 फीसदी तक की कटौती कर दी है। राज्य भर में वैट की बढ़ी दर के खिलाफ हुए आंदोलन की वजह से उपकरणों के रखरखाव के लिए मशीनरी उपकरण भी उपलब्ध नहीं हो रहे हैं।
शहर के चमड़ा, कपड़ा और जूते के उद्योग का प्रमुख बाजार यूरोपीय देश है। चूंकि यूरोप के तमाम देश जबरदस्त मंदी के चपेट में हैं इसलिए शहर के कारोबारी हलकान हैं। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन के अध्यक्ष आर के धवन ने बताया कि वैट दरों में वृध्दि की वजह से पिछले कुछ दिनों में उत्पादन लागत में करीब 500 करोड़ रुपये का झटका लगा है।
धवन ने बताया, ‘आमतौर पर शहर से हर महीने 3000 करोड़ रुपये के चमड़ा उत्पादों, 500 करोड़ रुपये के इंजीनियरिंग उत्पादों और 300 करोड़ रुपये के कपड़ा उत्पादों का निर्यात किया जाता है लेकिन पिछले दो महीनों में इसमें आधे फीसदी तक की कटौती कर दी गई है।’
सोसाइटी मोटर्स के मालिक एस पी अग्निहोत्री ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘अगले पिछले साल के मुकाबले इस साल के त्योहारी मौसम में बिक्री दर को देखें तो उसमें 35 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई है।
वैट में इजाफे से कानपुर में 24 इकाइयों पर जड़ा ताला
डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट से भी मुनाफा घटा
ऑर्डर नहीं मिलने से 2,500 इकाइयों पर संकट के बादल
मांग 50 फीसदी घटी