रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) द्वारा अपने तेल-रसायन (ओटुसी) कारोबार में एक अलग कंपनी नहीं बनाने और सऊदी अरामको में भागीदार के रूप में शामिल नहीं होने के निर्णय से हरित ऊर्जा क्षेत्र में अपनी पैठ मजबूत करने के लिए आवश्यक पुनर्गठन के संबंध में काफी कुछ करना पड़ सकता है।
साथ ही साथ 2.55 लाख करोड़ रुपये के अपने सकल ऋण को पीछे छोड़ते हुए इसकी बेहतर ऋण स्थिति (2.59 लाख करोड़ रुपये के साथ नकदी और नकदी के समान स्तर के साथ) इसे किसी इक्विटी समर्थन प्राप्त करने की जरूरत से दूर बेहतर वित्तीय स्थिति में रखती है।
आरआईएल अब अपने नए ऊर्जा और विशेष रासायनिक कारोबारों में भागीदारों को लेने की योजना बना रही है। इसका मतलब है कि इसकी सहायक कंपनियां प्रौद्योगिकी गठजोड़ के लिए अपनी आवश्यकता के आधार पर अलग-अलग दिशाओं में आगे बढ़ेंगी। यह पहले ही पॉलीसिलिकॉन, सेल और मॉड्यूल निर्माण में अधिग्रहण के लिए 1.2 अरब डॉलर, मोनोक्रिस्टलाइन सिलिकॉन वेफर्स, इलेक्ट्रोलाइजर्स के लिए स्टीस्डल के लिए स्टर्लिंग ऐंंड विल्सन ($38.5 करोड़ डॉलर) और नेक्सवेफ में (2.9 करोड़ डॉलर) तथा लंबे समय तक चलने वाली बैटरी प्रौद्योगिकी के लिए आम्बरी में (पांच करोड़ डॉलर) का निवेश कर चुकी है।
इसके अलावा सऊदी अरामको वर्ष 2050 तक अपने कारोबार को शुद्ध-शून्य कार्बन स्तर पर ले जाने के लिए ध्यान केंद्रित कर रही है, जिसका अर्थ है कि आरआईएल और सऊदी सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी दोनों को ही अपने पेट्रोलियम कारोबार को कार्बन फुटप्रिंट में कमी लाने की नई वैश्विक वास्तविकता के अनुरूप करने की आवश्यकता होगी।
सऊदी अरामको तेल उत्पादन और प्रसंस्करण में अपने परिचालन से होने वाले उत्सर्जन में कटौती करना चाहती है, जो स्कोप 1 और स्कोप 2 के दायरे में आता है। स्कोप 3 के तहत आने वाले अपने उत्पादों से उत्सर्जन में कटौती करना शायद दोनों कंपनियों के लिए आसान न हो।
हरित तरीकों को अपनाने के अलावा कोविड-19 ने ईंधन बाजार में अस्थिर स्थिति पैदा की है। कंपनी के एक कार्यकारी ने कहा कि पेट्रोलियम बाजार में अभूतपूर्व अस्थिरता रही है। आरआईएल-सऊदी अरामको द्वारा वर्ष 2019 में अपनी साझेदारी की घोषणा किए जाने के बाद से काफी कुछ बदल चुका है। आरआईएल अब अपने पोर्टफोलियो का पुनर्मूल्यांकन कर रही है।
रिलायंस के ओटुसी कारोबार में सऊदी अरामको द्वारा संभावित 20 प्रतिशत हिस्सेदारी के अधिग्रहण के लिए आरआईएल और सऊदी अरामको ने अगस्त 2019 में एक गैर-बाध्यकारी आशय पत्र पर हस्ताक्षर किए थे।
अपनी नई ऊर्जा और सामग्री योजना के तहत धीरूभाई अंबानी ग्रीन एनर्जी गीगा कॉम्प्लेक्स, जो एकीकृत अक्षय ऊर्जा विनिर्माण केंद्र है, जामनगर परिसर में बनेगा। यह परिसर ओटुसी सहायक कंपनी के पास चला गया होता, लेकिन अब इसमें सौर ऊर्जा के उत्पादन के लिए एकीकृत सौर फोटोवोल्टिक मॉड्यूल कारखाना, ऊर्जा भंडारण बैटरी कारखाना, हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिए एक इलेक्ट्रोलाइजर कारखाना और हाइड्रोजन को परिवर्तित करने के लिए फ्यूल सेल कारखाना शामिल होगा।
जामनगर अक्षय ऊर्जा और नई सामग्री के आरआईएल के नए कारोबारों का केंद्र होगा, जो 2035 तक शुद्ध-शून्य कार्बन की प्रतिबद्धता का समर्थन करता है। मौजूदा बुनियादी ढांचे का इस्तेमाल नए कारोबार के लिए किया जाएगा।
