सरकारी दूरसंचार कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) ने स्वीडन की दूरसंचार क्षेत्र की दिग्गज कंपनी एरिक्सन को देश के दो क्षेत्रों में ह्ययूलिट-पैकर्ड (एचपी) के डिजास्टर रिकवरी (डीआर) सॉल्यूशन का इस्तेमाल करने की अनुमति दे दी है। इससे देश में फिर से नई बहस छिड़ सकती है।
बीएसएनएल का यह फैसला बीएसएनएल की तकनीकी समिति के उस फैसले के विरूद्ध है जिसमें समिति ने अमेरिका की सन माइक्रोसिस्टम्सऔर ईएमसी कॉर्पोरेशंस के डीआर सॉल्यूशन इस्तेमाल करने की अनुमति दी थी। इस मामले से जुड़े सूत्रों के मुताबिक एरिक्सन को दिए गए खरीद ऑर्डर में एचपी के डीआर सॉल्यूशन का कहीं जिक्र भी नहीं था।
डीआर एक ऐसा प्रोग्राम है जो रिकॉर्ड और सॉफ्टवेयर स्टोर कर रखता है। इसका फायदा यह होता है कि प्राकृ तिक और मानव जनित आपदा से असली रिकॉर्ड नष्ट होने के बाद भी इस सॉल्यूशन में सारे रिकॉर्ड स्टोर रहते हैं। जिसे बैकअप के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है।
मार्च 2006 में बीएसएनएल ने देश के उत्तरी, पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्रों में डीआर सॉल्यूशन लगाने के लिए निविदाएं मंगाई थी। लेकिन अप्रैल 2008 को बीएसएनएल को लिखे गए खत में एरिक्सन ने एचपी के सॉल्यूशन इस्तेमाल करने की अनुमति मांगी थी। लेकिन कंपनी केइस कदम का सन माइक्रोसिस्टम्स और ईएमसी ने कड़ा विरोध किया था।
बीएसएनएल ने हाल ही में एरिक्सन को देश के उत्तरी और पूर्वी क्षेत्र में एचपी का डीआर सॉल्यूशन लगाने की अनुमति दे दी है। पश्चिमी क्षेत्र के लिए बीएसएनएल दूसरी सरकारी कंपनी आईटीआई का सॉल्यूशन भी इस्तेमाल कर सकती है। हालांकि अभी इस पर अंतिम फैसला नहीं लिया गया है।
दूरसंचार मंत्रालय के एक सूत्र के मुताबिक बीएसएनएल ने ऐसा सुविधा को ध्यान में रखते हुए किया है। दरअसल कंपनी के कर्मचारियों को एचपी के सॉल्यूशन पर प्रशिक्षण दिया गया है। जब एरिक्सन से इस बारे में बात की तो कंपनी ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।