ड्राई सेल बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी एवरेडी इंडस्ट्रीज इंडिया के लिए दुनिया पूरी तरह बदलने जा रही है। पिछले एक दशक के दौरान बैटरी उद्योग में उपभोक्ताओं की पसंद में काफी बदलाव आया है। इस दौरान वॉकमैन अपनी आवाज खो दी, कैमरे को स्मार्टफोन ने समाहित कर लिया और बैटरी का उपयोग टेलीविजन के रिमोट तक सीमित हो गया और दीवार घडिय़ों में बैटरी लंबे समय तक चलती है।
परिणामस्वरूप ब्रांड एवरेडी की पहचान धूमिल होने लगी। हालांकि कंपनी ने जमीरी स्तर पर विपणन अभियान के जरिये अपनी पहचान को बरकरार रखने की भरपूर कोशिश की लेकिन उसका कोई खास फायदा नहीं मिला। ऐसे में एवरेडी ने कारोबार में बदलाव की रणनीति तैयार की है और अब वह उस ओर आगे बढऩे की तैयारी कर रही है।
एक नया गिव मी रेड टीवी विज्ञापन को सात साल के अंतराल पर लॉन्च किया गया है जिसमें एक दुल्हन स्काईडाइविंग करते हुए अपने विवाह स्थल तक पहुंचती है। एवरेडी सूत्रों के अनुसार, इस विज्ञापन को ब्रांड सिद्धांत के अनुरूप तैयार किया गया है। गिव मी रेड विज्ञापन केवल लाल बैटरी की बात नहीं करता बल्कि युवा ऊर्जा को दर्शाने वाली ताकत को भी जाहिर करता है। साथ ही इसमें यह भी दर्शाया गया है कि युवा पीढ़ी कुछ नया करना चाहता है। इस प्रतिष्ठित ब्रांड का स्लोगन का अर्थ है अंतहीन जीवन, ऊर्जा कभी खत्म नहीं होती और कच्ची ऊर्जा रचनात्मक आजादी देती है।
करीब 30 साल पहले जब रीडि यूजन ने गिव मी रेड टैगलाइन के साथ बाजार में दस्तक दी थी तो भारतीय उपभोक्ता उदारीकरण को बढ़ावा दे रहे थे और उस अभियान का उद्देश्य भी वही था। संयोग से ताजा विज्ञापन को भी रीडि यूजन ने ही तैयार किया है। यह बैटरी उद्योग में बदलाव का दौर था। बाजार बड़े आकार की बैटरी से चलने वाले अप्लायंसेज से छोटी एए बैटरी की ओर रुख कर रहा था। ट्रांजिस्टर और पीतल वाले टॉर्चलाइट का जमाना लद चुका था। कंपनी (पूर्व में यूनियन कार्बाइड इंडिया) में अमेरिकी कंपनी यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन की बहुलांश हिस्सेदारी थी।
साल 1993 में भारतीय उद्योग जगत की एक सबसे बड़ी औद्योगिक हादसे के बाद ब्रांड एवरेडी बृजमोहन खेतान की झोली में आ गया क्योंकि उन्होंने 9.65 करोड़ डॉलर के एक सौदे के तहत बॉ बे डाइंग के वाडिया समूह को पछाड़ते हुए यूनियन कार्बाइड इंडिया का अधिग्रहण कर लिया। यह उस समय का देश का सबसे बड़ा कॉरपोरेट अधिग्रहण सौदा था। अधिग्रहण के बाद कंपनी का नाम बदलकर एवरेडी इंडस्ट्रीज इंडिया रखा गया। हालांकि एवरेडी ब्रांड भारत में 1905 से ही मौजूद था और उसने बाजार में कई बदलाव देखे। आज भी वह बदलाव से गुजर रहा है।
कंपनी के आंतरिक सूत्रों ने कहा, ‘उपकरण काफी छोटे होते जा रहे हैं। दीवार घड़ी हो या िालौने हर जगह अब रिमोट का उपयोग बढ़ रहा है। इसलिए बैटरियों में एए से एएए में बदलाव हुआ है। बैटरी उद्योग मांग में सुस्ती से जूझ रहा है जिसकी झलक ताजा तिमाही नतीजों में मिल जाती है। वित्त वर्ष 2022 की चौथी तिमाही में एवरेडी ने समेकित आधार पर 38.41 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया। कंपनी को मु य तौर पर मांग में सुस्ती और इनपुट लागत में वृद्धि जैसी दोहरी चुनौतियों से झटका लगा। हालांकि वित्त वर्ष 2022 के लिए कंपनी ने 46.5 करोड़ रुपये का कर पश्चात लाभ दर्ज किया।’
