हैदराबाद की कंपनी बायोलॉजिकल ई अगले पांच वर्षों में सालाना 1 अरब गैर-कोविड टीकों के उत्पादन की क्षमता विकसित करने पर जोर दे रही है और कंपनी संख्या के लिहाज से देश की सबसे बड़ी टीका निर्माता बनने का लक्ष्य लेकर चल रही है।
फिलहाल कंपनी के पास 1.5-2 अरब कोविड टीका और 60 करोड़ गैर-कोविड टीका बनाने की क्षमता है।
फिलहाल, पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) न केवल भारत बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी टीका निर्माता कंपनी है।
कोविड और गैर-कोविड को मिलाकर टीका निर्माण की इसकी सालाना क्षमता 3 अरब टीकों का है।
बायोलॉजिक ई में टीका खंड के मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) लक्ष्मीनारायण नेति बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा कि कंपनी के पास कोविड टीके की 1.5 से 2 अरब
खुराक बनाने की क्षमता है। मांग होने पर इस क्षमता को बढ़ाकर 2.5 अरब खुराक किया जा सकता है।
नेती ने कहा, ‘हमने महामारी के दौरान भी किसी भी गैर-कोविड टीके की आपूर्ति नहीं रोकी है। हमारा लक्ष्य अगले पांच वर्ष में इसका उत्पादन बढ़ाकर सालाना 1 अरब खुराक करना है।’ कई सारे टीका उत्पाद पाइपलाइन में हैं। इनमें न्यूमोकोकल कोन्जुगेट टीका (पीसीवी), निष्क्रिय पोलियो टीका, हेपेटाइटिस ए का टीका, खसरे का टीका आदि कुछ प्रमुख नाम हैं। नेती ने कहा कि इनमें से पीसीवी को वित्त वर्ष 2022-23 में लाइसेंस मिल सकता है।
निजी क्षेत्र की इस कंपनी का वित्त वर्ष 2022 में 1,000 करोड़ रुपये का सालाना कारोबार रहा और उसने करीब 80 फीसदी राजस्व टीकों से हासिल किया।
कोविड टीका कारोबार की दृष्टि से बायोलॉजिकल ई अब दो महत्त्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करने पर ध्यान दे रही है। पहली है विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) आपात इस्तेमाल सूचीबद्घता (ईयूएल) और दूसरी है कोर्बेवैक्स का कोविशील्ड और कोवैक्सीन के बाद हेटरोलोगस-बूस्टिंग टीके तौर पर मंजूरी।
नेती ने कहा, ‘हम यह जांचने के लिए अध्ययन कर रहे हैं कि हेटरोलोगस बूस्टर के तौर पर कोविशील्ड और कोवैक्सिन के बाद कोर्बेवैक्स कितना प्रभावी है। सीरोलॉजिकल परीक्षण कराए जा रहे हैं। आंकड़े तैयार होने के बाद हम इसे नियामक के समक्ष प्रस्तुत करेंगे।’
कंपनी इस महीने भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) के पास हेटरोलोगस बूस्टिंग पर डेटा जमा करा सकती है।
