बीएस बातचीत
भारत व ब्रिटेन के बीच प्रस्तावित कारोबारी समझौता पर बातचीत तेज हो रही है। यूकेआईबीसी के नए समूह सीईओ जयंत कृष्ण का कहना है कि बाजार तक पहुंच, कारोबार सुगमता ब्रिटिश कारोबारियों की प्राथमिकता में शामिल होंगे। कृष्ण पहले भारतीय हैं, जिन्हें इस प्रभावी परिषद का प्रभार मिला है। शुभायन चक्रवर्ती से बातचीत में उन्होंने कहा कि ब्रिटेन की कंपनियां विनिर्माण एवं आरऐंडडी में भारत में बड़ा आधार बनाने की संभावना तलाश रही हैं। प्रमुख अंश..
दोनों देशों में प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते में किन क्षेत्रों पर ध्यान होगा?
भविष्य के एफटीए को लेकर दोनों सरकारों द्वारा साझा की गई महत्त्वाकांक्षाों का स्वागत किया है। जुलाई 2020 के अंत में भारत ब्रिटेन संयुक्त आर्थिक कारोबार समिति (जेईटीसीओ) की व्यापार साझेदारी बढ़ाने की प्रतिबद्धता को ऐसे समझौते के खाके के रूप में देखा जा रहा है। दोनों सरकारों ने जेईटीसीओ 2019 में प्राथमिकता के 3 क्षेत्र खाद्य और पेय, लाइफ साइंस और स्वास्थ्य, डिजिटल और डेटा सेवाओं को शामिल किया था। इस बढ़ी व्यापार साझेदारी में बाजार तक पहुंच के मसलों व कारोबार सुगमता पर ध्यान है, जो कारोबारी चिंता का मुख्य विषय मानते हैं।
क्या भारत और चीन के बीच हाल के खींचतान से ब्रिटिश निवेश की गतिविधियों पर असर पड़ा है?
ब्रिटेन और भारत वैश्विक कारोबारी धारणाओं व संभावनाओं पर भी नजर रखते हैं, जिससे विनिर्माण आपूर्ति शृंखला में चीन के विकल्प की संभावना तलाशी जा सके। लेकिन चीन की विशिष्ट क्षमता है और भारत की तरह ही बड़ा व आकर्षक बाजार है। वह निवेश का आकर्षक केंद्र बना रहेगा। साथ ही ब्रिटेन की इकाइयां भारत में विनिर्माण व शोध एवं विकास (आरऐंडडी) का आधार बढ़ाने को इच्छुक हैं। ऑक्सफोर्ड युनिवर्सिटी, ब्रिटेन की एस्ट्रा जेनेका और सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया के बीच समझौता इस बात का साक्ष्य है कि ब्रिटिश और भारतीय संस्थानों के मिलकर काम करने की अपार संभावनाएं हैं। ब्रिटिश फर्में भारत को लेकर प्रतिबद्ध हैं और और वे अपनी मजबूत मौजूदगी का विस्तार करेंगी।
महामारी के बाद अर्थव्यवस्था के किन क्षेत्रों में ब्रिटेन की रुचि है?
2000 से अब तक भारत में 28 अरब डॉलर से ज्यादा ब्रिटिश प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हुआ है और लगातार बढ़ रहा है। ब्रिटिश निवेश से संगठित क्षेत्र में 8 लाख नौकरियों का सृजन हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विनिर्माण, बुनियादी ढांचा, दवा, अंतरिक्ष और रक्षा जैसे क्षेत्र में वैश्विक सहयोग की संभावनाओं पर बल दिया है, जो सकारात्मक है। इन क्षेत्रों में भारत व ब्रिटेन के बीच कारोबार हो सकता है, जिससे आत्मनिर्भर भारत बनेगा। विनिर्माण में भारत की पहले से ही मजबूत मौजूदगी है और पर्किंस इंजन, जेसीबी, बीएई सिस्टम्स, ग्लाक्सोस्मिथक्लाइन व रॉल्स रॉयस पूरी तरह से स्थापित हैं।
ब्रेक्सिट के बाद ब्रिटेन की योजना में भारत कितना अहम है?
जेईटीसीओ में वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने ब्रिटेन भारत कारोबार की सकारात्मक धारणा का स्वागत किया है। 2019 में 24 अरब पाउंड का कारोबार हुआ है, जो 2018 से 10 प्रतिशत ज्यादा है। भारत सरकार से कारोबार व यहां निवेश ब्रिटिश सरकार की प्राथमिकता में शामिल है।
कारोबार सुगमता को लेकर यूकेआईबीसी के क्या सुझाव हैं?
पिछले 5 साल से हर साल यूकेआईबीसी विश्व बैंक के कारोबार सुगमता रैंकिंग के पूरक के रूप में डूइंग बिजनेस इन इंडिया रिपोर्ट जारी कर रहा है। हमने हर साल पाया है कि कारोबार सुगमता में प्रमुख व्यवधान कानूनी और नियामकीय अवरोध हैं।
आत्मनिर्भर भारत की नीतियों पर ब्रिटिश कारोबारियों का क्या रुख है?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि आत्मनिर्भर भारत का मतलब एकीकरण है, अलग थलग रहना नहीं और यूकेआईबीसी में हम वरिष्ठ सरकारी प्रतिनिधियों की ओर से इसी तरह की बात सुनते हैं। ब्रिटेन में शोध व विकास का समृद्ध माहौल है और विश्व की प्रमुख तकनीकें आत्मनिर्भर भारत के लिए लाभदायक होंगी और इससे भारत को विनिर्माण केंद्र बनने में मदद मिलेगी।