लघु एवं मझोले उद्योग (एसएमई) के संयुक्त विकास के बिना औद्योगिक विकास की कल्पना नहीं की जा सकती। उत्तराखंड में ‘श्रेष्ठ कार्य प्रणाली’ एसएमई के मजबूत विकास के लिए नया मंत्र बन गया है।
एक नई पहल के तहत जर्मनी की एक सेवा प्रदाता कंपनी जीटीजेड ने इस पहाड़ी राज्य में में एसएमई के लिए श्रेष्ठ ‘कार्य प्रणाली’ को अपनाए जाने के लिए विभिन्न संगठनों के साथ हाथ मिलाया है ताकि इनके उत्पादन और वित्तीय दशा में सुधार लाकर इनका कायाकल्प किया जा सके।
इस संबंध में एसएमई की स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए चार-दिवसीय एक कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। जीटीजेड जर्मन फेडरल मिनिस्ट्री फॉर इकोनोमिक को-ऑपरेशन ऐंड डेवलपमेंट की ओर से भारत में सक्रिय है। इस कंपनी ने भारत और ब्रिटिश एसएमई के बीच साझा उपक्रमों और सहयोग के लिए दक्षता का आदान-प्रदान करने के लिए स्टैनली डेविड को ब्रिटिश व्यापार सलाहकार और अंतर्राष्ट्रीय मार्केटिंग कंसल्टेंट नियुक्त किया है।
जीटीजेड की वरिष्ठ तकनीकी विशेषज्ञ राजश्री शुक्ला का कहना है कि यह नई पहल बदलाव की हवा बहा रही है। कंपनी ने एसएमई को श्रेष्ठ कार्य प्रणालियों की अंतर्दृष्टि मुहैया कराने के लिए विभिन्न स्तरों पर अभियान शुरू करने की योजना बनाई है।
‘श्रेष्ठ कार्य प्रणाली’ का मतलब उन कार्य प्रणालियों से है जो श्रेष्ठ परिणाम देती हैं और इन्हें क्षेत्रवार दृष्टिकोण के साथ अपनाया जा सकता है। श्रेष्ठ कार्य प्रणाली ऐसी तकनीक या प्रणाली है जो अनुभव और शोध के जरिये अपेक्षित परिणाम देती है। इन कार्य प्रणालियों में ऊर्जा एवं जल खपत की बचत, पर्यावरण के अनुकूल तरीके में अपशिष्ट प्रबंधन, पुरुष, मशीन और धन संसाधनों का प्रबंधन आदि शामिल हैं।
इसके अलावा उत्पाद विकास और मार्केटिंग के संदर्भ में श्रेष्ठ कार्य प्रणालियों का फोकस गठजोड़ एवं विविधता आदि पर भी है। इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड (आईएयू) भी श्रेष्ठ कार्य प्रणाली के जागरुकता अभियान में लगा हुआ है। आईएयू ने इस पहाड़ी राज्य में कई छोटे उद्यमों के बीच इस पहल का दायरा बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता जताई है।
आईएयू के अध्यक्ष पंकज गुप्ता ने कहा, ‘हमें नए वैश्विक चलन को अपनाना चाहिए। ये चलन औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए उपयुक्त हैं।’ अतिरिक्त निदेशक (उद्योग) सुधीर चंद्र नौटियाल ने इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि राज्य में ये कदम एसएमई क्षेत्र के मजबूत विकास के लिए बेहद लाभदायक हैं।