देश की चारों अग्रणी आईटी कंपनियों के लिए वित्त वर्ष 22 की दूसरी तिमाही में दो अंकों की बढ़त जारी रही और हर विभाग व इलाके ने बेहतर प्रदर्शन किया, हालांकि इसके बावजूद सभी कंपनियों के लिए अनुबंध की कुल वैल्यू नरम रही। यह प्रवृत्ति सबसे पहले एक्सेंचर की चौथी तिमाही के आंकड़ों में स्पष्ट दिखी, जिसने आउटसोर्सिंग सौदे में अनुबंध की कुल वैल्यू में नरमी देखी।
कुल अनुबंध की वैल्यू में नरमी का यह मतलब नहीं है कि बढ़त की रफ्तार घट रही है, लेकिन एक ऐसी प्रवृत्ति की ओर इंगित करती है जहां बड़े सौदे काफी कम होते हैं। विश्लेषकोंं ने कहा कि कुल अनुबंध वैल्यू मे नरमी चिंता का विषय है लेकिन इस क्षेत्र की अल्पावधि की बढ़त की रफ्तार मजबूत है और दो अंकों में है।
गार्टनर इंक के वरिष्ठ निदेशक व विश्लेषक डी. डी. मिश्रा ने कहा, विगत में एक वेंडर को मिले कुल आउटसोर्सिग सौदे में हमने कमी देखी है। इसकी एक वजह यह है कि अब क्लाउड व डिजिटल की मांग है और ऐसे में ज्यादातर सौदे इसी प्रकृति के हैं। पिछले कुछ वर्षों में प्रवृत्ति मल्टी सोर्सिंग की रही है, जहां क्लाइंट विशेषज्ञों के साथ काम करना चाहते हैं।
एक्सेंचर की चौथी तिमाही के नतीजे में बड़े सौदों में नरमी स्पष्ट तौर पर दिखी थी। कंपनी ने 7.1 अरब डॉलर के आउटसोर्सिंग सौदे दर्ज किए थे, जो सालाना आधार पर 5.6 फीसदी कम है और पिछली चार तिमाहियों के औसत के मुकाबले 2.6 फीसदी कम है। एवरेस्ट समूह के सीईओ पीटर बेंडोर सैमुअल ने कहा कि बड़े सौदे गायब नहीं हुए हैं, हालांकि बाजार का ध्यान कहीं है और जो चीजें अस्तित्व में नहीं होती हैं उसे ज्यादा फर्में साझा करती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सौदे अब प्रतिस्पर्धी हो रहे हैं लेकिन इस समय जो चीजें इसे प्रभावित कर रही है वह है बाजार का समय और मांग-आपूर्ति का बेमेल।
सैमुअल ने कहा, अर्थव्यवस्था के विस्तार के शुरुआती दिनों में सामान्यत: हम बड़े सौदों की संख्या में कमी देखते हैं। कोविड के बाद हुआ विस्तार ऐसे ही ऐतिहासिक प्रवृत्ति दिखाता है। इससे जुड़ा हुआ है प्रतिभा का बाजार, जो आपूर्ति के मुकाबले ज्यादा मांग को पारिभाषित करता है, लिहाजा हर इलाके में प्रतिभाओंकीकमी है और खास तौर से भारत जैसे कम लागत वाले गंतव्य में।
प्रतिभा के इस संकट का असर क्लाइंट की तरफ भी महसूस किया गया। सैमुअल ने कहा कि हर विशेषीकृत फर्म आईटी व इंजीनियरिंग प्रतिभा को हासिल करने के लिए संघर्ष कर रही है, साथ ही मौजूदा कर्मियों को बनाए रखने में भी उसे दिक्कत हो रही हैऔर वह सेवा प्रदाता समुदाय की ओर इस कमी की भरपाई के लिए देख रही है।
