निजी क्षेत्र की प्रमुख जीवन बीमा कंपनियों- एसबीआई लाइफ, एचडीएफसी लाइफ और आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ (आई-प्रू लाइफ) के सितंबर तिमाही के वित्तीय नतीजों में एक दिलचस्प रुझान दिखा है। एचडीएफसी लाइफ और एसबीआई लाइफ ने शुद्ध प्रीमियम आय में सालाना आधार पर क्रमश: 35 फीसदी और 27 फीसदी की वृद्धि के साथ इस श्रेणी का नेतृत्व किया। इससे पता चलता है कि यह क्षेत्र वैश्विक महामारी के प्रभाव से उम्मीद से कहीं अधिक तेज रफ्तार से उबर सकता है। लेकिन आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ की महज 6.3 फीसदी की प्रीमियम वृद्धि से थोड़ी चिंता जरूर दिख रही है।
हालांकि आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ ने दूसरी तिमाही में 27.4 फीसदी नए कारोबार मूल्य (वीएनबी) मार्जिन के साथ बाजार को अचंभित कर दिया। सालाना आधार पर इसमें 630 आधार अंक और क्रमिक आधार पर 340 आधार अंक की वृद्धि दर्ज की गई। इस प्रकार उसका कारोबार सबसे अधिक लाभप्रद बन गया। एचडीएफसी लाइफ का वीएनबी मार्जिन सालाना आधार पर 20 आधार अंक और क्रमिक आधार पर 130 आधार अंक बढ़कर 25.6 फीसदी हो गया जबकि एसबीआई लाइफ का वीएनबी 18.8 फीसदी (सालाना आधार पर 30 आधार अंक) पर सबसे कमजोर रहा।
ऐसे में सवाल उठता है कि आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ ने कमजोर वृद्धि के बावजूद अपनी लाभप्रदता को कैसे बढ़ाया? इसका जवाब उसके उत्पाद मेल में निहित है जिसका रुझान तेजी से सुरक्षा योजनाओं के पक्ष में बदल गया है। इससे मार्जिन के मोर्चे पर और लंबी अवधि में भी फायदा होता है। एसबीआई लाइफ के उत्पाद मेल में भी कुछ फेरबदल हुआ है जबकि दूसरी तिमाही में समूह के बचत एवं सुरक्षा कारोबार एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले लगभग दोगुना हो गया। व्यक्तिगत योजनाओं की तुलना में समूह की योजनाओं में मात्रात्मक वृद्धि दिखी लेकिन मार्जिन प्रतिफल के मोर्चे पर उसकी रफ्तार सुस्त पड़ गई। व्यक्तिगत योजनाओं की परिचालन लागत शुरुआती चरण में अधिक होती है। इन योजनाओं के योगदान में भारी वृद्धि होने से एसबीआई लाइफ का मार्जिन प्रभावित हुआ। जहां तक एचडीएफसी लाइफ का सवाल है तो उसका उत्पाद मेल भी स्थिर रहा जिससे उसके मार्जिन प्रोफाइल की झलक मिलती है।
सवाल यह है कि क्या यह चलन स्थायी है। एसबीआई लाइफ के लिए मार्जिन सुधार का काफी कुछ पुनर्बीमा की अधिक लागत को ग्राहकों के कंधों पर सरकारने की उसकी क्षमता पर निर्भर करेगा। एमके रिसर्च के विश्लेषकों ने कहा है कि मौजूदा सुरक्षा योजनाओं के मूल्य को नए सिरे से निर्धारित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, ‘(एसबीआई लाइफ के) प्रबंधन ने पुष्टि की है कि मौजूदा सुरक्षा योजनाएं एचडीएफसी लाइफ की तुलना में सस्ती हैं। हालांकि कीमतों में बढ़ोतरी के बाद एचडीएफसी लाइफ से प्रतिस्पर्धा निश्चित रूप से महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।’ जहां तक एचडीएफसी लाइफ का सवाल है तो नोमुरा के विश्लेषकों का कहना है कि उसका उत्पाद मेल संतुलित रहने के बाद मार्जिन मौजूदा स्तर पर स्थिर रहना चाहिए। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ के मामले में मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के विश्लेषकों का कहना है कि सुरक्षा और एन्युइटी श्रेणी से वृद्धि को रफ्तार मिल रही है और वित्त वर्ष 2015 में वीएनबी मार्जिन 28 फीसदी तक पहुंच सकता है।
मैक्वेरी कैपिटल के सुरेश गणपति ने चेताते हुए कहा कि हाल में प्रतिस्पर्धा की धार काफी तेज हो गई है और इसलिए वह मूल्य निर्धारण को लेकर सतर्क रहेंगे। उन्होंने कहा, ‘कई (बीमाकर्ता) कंपनियां उचित रूप से हेजिंग भी नहीं कर सकती हैं और गारंटी रिटर्न देने के लिए वे शेयरधारक के खाते को जोखिम में डाल सकती हैं।’ इसके अलावा दो अन्य महत्त्वपूर्ण पहलू हैं जो अनुमान को निर्धारित कर सकते हैं- दूसरी तिमाही में यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान यानी यूलिप की धीरे-धीरे बढ़ती हिस्सेदारी और दृढता अनुपात (जो यह दर्शाता है कि ग्राहक अपनी पॉलिसी के साथ कितने समय बने रहते हैं) में उभरता रुझान।
बहरहाल, नोमुरा के विश्लेषकों का कहना है कि जीवन बीमा कंपनियों के लिए प्रमुख जोखिम कोविड-19 की मौजूदा स्थिति है। इससे बीमा कंपनियां अपनी वृद्धि और मार्जिन को बनाए रखने में असमर्थ दिख रही हैं। इन चिंताओं के बावजूद यदि जीवन बीमा कंपनियों के शेयर निवेशकों को आकर्षक लगते हैं तो मूल्यांकन में हालिया गिरावट का उल्लेख करना उचित होगा। इसने इन शेयरों को लंबी अवधि के निवेशकों के लिए आकर्षक बना दिया है।
