बैंकरों ने कहा है कि श्रेय समूह के पास बैंकों के बकाये सितंबर में डूबते ऋण की श्रेणी में आ गए। ऐसे में ऋणदाताओं को तत्काल 5,000 करोड़ रुपये से अधिक का प्रावधान करना होगा। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के प्रावधानों के अनुसार श्रेय पर बकाये को कमजोर परिसंपत्ति माना जाएगा जो गैर-निष्पादित आस्तियों का पहला चरण है। इसलिए बैंकों को रेहन वाले ऋण के लिए करीब 15 फीसदी और बिना रेहन वाले ऋण के लिए कहीं अधिक प्रावधान करने की आवश्यकता होगी।
श्रेय समूह की दो कंपनियों पर बैंकों का कुल बकाया करीब 30,000 करोड़ रुपये है जिसमें ऋण और प्रतिभूति दोनों शामिल हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने सोमवार को श्रेय इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनैंस और श्रेय इक्विपमेंट फाइनैंस के बोर्ड को निलंबित कर दिया। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि ये दोनों कई तिमाहियों से दबावग्रस्त खाते थे। बैंक ट्रिब्यूनल द्वारा प्रतिबंधों के कारण इन्हें एनपीए की श्रेणी में नहीं रख सकते हैं। हालांकि प्रतिबंधों को सितंबर के आरंभ में हटा लिया गया था जिससे उन्हें डूबते ऋण की श्रेणी में रखने का मार्ग प्रशस्त हुआ। बैंकों ने काफी समझदारी पूर्वक कदम बढ़ाते हुए सामान्य एवं कोविड प्रावधानों के तहत कुछ तिमाहियों के लिए श्रेय पर बकाये के लिए रकम अलग रखना शुरू कर दिया था। अब उस खाते को कुछ विशेष प्रावधानों के साथ एनपीए की श्रेणी में रखा जा रहा है। बैंक के एक अधिकारी ने कहा कि बैंक ऑफ महाराष्ट्र के मामले की तरह उधारी की रकम 550 करोड़ रुपये है और अधिकांश रकम के लिए सामान्य एवं कोविड प्रावधानों के तहत कार्रवाई की गई है।
इन कंपनियों द्वारा भुगतान दायित्वों को पूरा करने में चूक और आरबीआई द्वारा प्रशासन संबंधी चिंताओं के कारण आईबीसी के तहत कार्रवाई शुरू करने का निर्णय लिए जाने के बाद दिवालिया प्रक्रिया की शुरुआत होगी। इस बीच, कंपनी के बहीखातों की फोरेंसिक जांच चल रही है। फोरेंसिक जांच के नतीजों के आधार पर यदि खाते को धोखाधड़ी वाला माना गया तो बैंकों को अगली चार तिमाहियों के दौरान अपनी उधारी के लिए 100 फीसदी प्रावधान करना होगा। सरकारी बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह रकम 30,000 करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है।
बैंक ऑफ बड़ौदा के पूर्व प्रमुख महाप्रबंधक रजनीश शर्मा को दोनों कंपनियों के प्रशासक के तौर पर नियुक्त किया गया है। आरबीआई दिवालिया समाधान पेशेवर के तौर पर प्रशासक की नियुक्ति के लिए एनसीएलटी के पास आवेदन करेगा।