राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट (एनसीएलटी) की मुंबई शाखा ने सोमवार को आरबीआई द्वारा पेश उस याचिका को स्वीकार कर लिया, जिसमें आईबीसी की धारा 227 के तहत रिलायंस कैपिटल के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही शुरू करने के खिलाफ अनुरोध किया गया था।
पंचाट ने कंपनी के प्रशासक के तौर पर वाई नागेश्वर राव को नियुक्त किए जाने की भी पुष्टि की है। सोमवार को प्रदीप नरहरि देशमुख और कपल कुमार वोहरा की अध्यक्षता वाले पीठ ने मामले की सुनवाई के बाद मामले में इस आदेश को पलट दिया था।
आरबीआई ने पिछले सप्ताह रिलायंस कैपिटल के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने के लिए एनसीएलटी की मुंबई शाखा में अनुरोध किया था और चूक तथा प्रशासनिक खामियों का जिक्र किया था।
आरबीआई की ओर से पेशवरिष्ठ अधिवक्ता रवि कदम ने कहा कि सिर्फ नियामक को ही आईबीसी की धारा 227 के तहत वित्तीय सेवा प्रदाता के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही शुरू करने का अधिकार है।
कदम ने दलील दी कि निजी क्षेत्र के ऋणदता येस बैंक ने 30 अक्टूबर 2017 को रिलायंस कैपिटल द्वारा जारी 987 करोड़ रुपये के गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर्स की खरीदारी की थी। कंपनी 2019 में इसी समय के दौरान बैंक को अपनी देनदारियों को लेकर भुगतान में विफल रही थी। उसके बाद एक्सलरेशन रिडम्पशन क्लॉज का इस्तेमाल हुआ। इससे मूलत: ऋणदाता को सभी बकाया ऋण चुकाने की अनुमान मिलती है, बशर्ते कि खास शर्तों को पूरा नहीं किया गया हो।
रिलायंस कैपिटल के प्रवर्तक की ओर से पेश डेरियस जहांगीर काकालिया ने पीठ को सूचित किया कि उन्होंने बैंकिंग सेक्टर के नियामक द्वारा दाखिल याचिका का समर्थन किया है। कंपनी ने अपने एक बयान में कहा है, रिलायंस कैपिटल ने फास्ट-ट्रैक रिजोल्यूशन के लिए धारा 227 के तहत एनसीएलटी के लिए आरकैप का हवाला देने वाले आरबीआई आवेदन का समर्थन किया है।
बयान में कहा गया है, ‘कंपनी अपने सभी हितधारकों के हितों को ध्यान में रखते हुए अपने कर्ज के तेज समाधान को इच्छुक और आईबीसी प्रक्रिया के जरिये मजबूती के साथ पूंजीकृत बने रहना चाहती है।’
हाल के वर्षों में यह तीसरी बार है जब केंद्रीय बैंक ने बोर्डों को अलग रखा है और दिवालिया प्रक्रिया शुरू किया है। केंद्रीय बैंक ने नवंबर 2019 में डीएचएफएल के बोर्ड को भंग कर दिया और फिर इस साल अक्टूबर में श्रेय गु्रप की दो एनबीएफसी को इस श्रेणी में शामिल किया गया।
केंद्रीय बैंक एनबीएफसी के लिए नियम सख्त बना रहा है जिससे उनके लिए कानून बैंकों के समान बन रहे हैं। रिलायंस कैपिटल पर कार्रवाई का हालांकि सेक्टर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि इस क्षेत्र में यह समूह लंबे समय से संकट से जूझता रहा है और ऋणदाताओं या बॉन्डधारकों को कर्ज चुकाने में बार बार विफल रहा है।
