दिवालिया प्रक्रिया का सामना कर रही दीवान हाउसिंग फाइनैंस कॉर्पोरेशन (डीएचएफएल) के अधिग्रहण के लिए ओकट्री, पीरामल समूह, अदाणी समूह और एससी लोवी से बोलियां आई हैं। मगर डीएचएफएल के ऋणदाताओं को ये बोलियां पसंद नहीं आई हैं और उन्होंने बोली लगाने वाली कंपनियों को बातचीत के लिए अगले हफ्ते बुलाया है। घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने बताया कि बोली नहीं बढ़ाई गईं तो ऋणदाता उन्हें खारिज कर सकते हैं।
अमेरिका की परिसंपत्ति प्रबंधन फर्म ओकट्री ने पूरी कंपनी के लिए 20,000 करोड़ रुपये की बोली लगाई है। पीरामल ने केवल खुदरा ऋण पोर्टफोलियो के लिए 15,000 करोड़ रुपये की बोली लगाई है। अदाणी समूह निर्माण फाइनैंस तथा झुग्गी पुनर्वास क्षेत्र (एसआरए) का कर्ज खरीदने का इच्छुक है, जिसके लिए उसने करीब 3,000 करोड़ रुपये की बोली लगाई है। एसी लोवी ने निर्माण ऋण के लिए बोली लगाई है। मगर सभी बोलियों के साथ कुछ शर्तें भी जोड़ दी गई हैं। बैंकों, छोटे जमाकर्ताओं और उत्तर प्रदेश की भविष्य निधि के 88,000 करोड़ रुपये का कर्ज चुकाने में चूक के बाद पिछले साल दिसंबर में डीएचएफएल को राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट (एनसीएलटी) भेजा गया था। प्रबंधन सलाहकार ईवाई की पड़ताल के मुताबिक कीमत, समय और शर्तों के लिहाज से सबसे अच्छी बोली ओकट्री की है। मगर सूत्रों ने कहा कि इतना काफी नहीं है और सभी बोलीदाताओं से अगले हफ्ते प्रस्तुति देने के लिए कहा गया है। उन्होंने बताया कि बैंक कम से कम आधा बकाया तो वसूलना चाहते ही हैं।
सूत्रों ने कहा कि ओकट्री और पीरामल ने अपनी बोली में डीएचएफएल के खातों में मौजूद करीब 10,000 करोड़ रुपये की नकदी भी शामिल कर ली है और अपने हिस्से का भुगतान अगले सात साल में करने की बात कही है।
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नियुक्त प्रशासक की अगुआई वाले प्रबंधन का कहना है कि बोलियां बहुत नीची हैं और बिक्री प्रक्रिया अगले साल तक के लिए टाल देनी चाहिए क्योंकि उस समय तक अर्थव्यवस्था सुधरने की उम्मीद है। सूत्रों के अनुसार कंपनी का अनुमान है कि उसके पास मौजूद 10,000 करोड़ रुपये की नकदी अगले साल के अंत तक बढ़कर 20,000 करोड़ रुपये हो सकती है। इससे कंपनी की कीमत भी बढ़ जाएगी।
इस बारे में डीएचएफएल को भेजे ईमेल का कोई जवाब नहीं आया।
बोलीदाताओं की पेशकश के एक दिन बाद ही डीएचएफएल के पूर्व प्रवर्तक कपिल वधावन ने आरबीआई द्वारा नियुक्त प्रशासक को पत्र लिखकर कहा है कि कंपनी की सभी परिसंपत्तियों की कीमत कम से कम 43,000 करोड़ रुपये होगी। वधावन फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।
ग्रांट थॉर्नटन की फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट के कारण भी कंपनी के लिए कम बोली लगाई गई है। रिपोर्ट के मुताबिक डीएचएफएल के खातों में 14,500 करोड़ रुपये की हेराफेरी का पता चला है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हेराफेरी में गई रकम शायद ही वापस आ पाए।
