उच्चतम न्यायालय ने नोटिस जारी कर बजाज आलियांज को न्यायालय के समक्ष 6 सप्ताह में 200 करोड़ रुपये भुगतान करने को कहा है।
न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और हिमा कोहली के पीठ ने बंबई उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी है, जिसने बजाज आलियांज को महाराष्ट्र के उस्मानाबाद जिले के 3.5 लाख सोयाबीन किसानों को 2020 में हुई भारी बारिश के कारण फसल को हुए नुकसान के एवज में मुआवजा देने का आदेश दिया था।
न्यायालय ने कहा कि अगर बीमा कंपनी के पास पैसे नहीं हैं तो स्थगनादेश स्वतः खत्म हो जाएगा।
बंबई उच्च न्यायालय की औरंगाबाद पीठ ने इसके पहले बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को किसानों को मुआवजा देने का निर्देश दिया था। न्यायमूर्ति आरडी धानुका और एसडी मेहारे के पीठ ने एक जनहित याचिका पर आदेश पारित किया था। किसानों ने इस याचिका में बीमा कंपनी से राहत दिलाए जाने का अनुरोध किया था। याचियों ने यह भी अनुरोध किया था कि अगर बीमा कंपनी भुगतान नहीं करती है तो राज्य सरकार को किसानों को राहत देने के लिए निर्देशित किया जाए। न्यायालय ने कहा कि अगर बीमा कंपनी राहत का भुगतान नहीं करती है तो राज्य सरकार मुआवजा दे सकती है। पीठ ने कहा था कि ऐसी स्थिति में बीमा फर्म को राज्य के दिशानिर्देशों का पालन करना होगा।
याचियों के वकील ने दावा किया था कि बीमा कंपनी किसानों, केंद्र व राज्य की ओर से भुगतान किए गए प्रीमियम से मुनाफा कमा रही है।
न्यायालय को सूचित किया गया था कि बीमा कंपनी ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत ओस्मानाबाद के किसानों, राज्य व केंद्र सरकार से करीब 500 करोड़ रुपये प्राप्त किए, वहीं किसानों को इसका एक चौथाई ही मुआवजा जारी किया है। उधर सरकार के वकील ने कहा कि बीमा कंपनी को कहा गया है कि वह कुछ किसानों को बीमा की राशि का भुगतान करे।
बीमा कंपनी के वकील ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत यह जरूरी था कि किसान बीमा कंपनी को 72 घंटों के भीतर सूचित करें। न्यायालय ने यह तर्क खारिज कर दिया और कहा कि यह व्यावहारिक नहीं है।
