टीएम की मूल कंपनी वन 97 कम्युनिकेशंस भले ही एक्सचेंज पर नुकसान में रही हो, लेकिन इस कंपनी ने इस साल स्टॉक मार्केट के जरिए जुटाई गई रकम का औसत आकार काफी ज्यादा बढ़ा दिया है।
स्टॉक मार्केट में आम शेयरधारकों को शेयर बेचकर कंपनियों ने औसतन 13.8 करोड़ डॉलर (1,029.8 करोड़ रुपये) जुटाए और यह जानकारी रेफ्निटिव के आंकड़ों के विश्लेषण से मिली। इस विश्लेषण में पेटीएम के आईपीओ बंद होने वाले हफ्ते तक जुटाई गई रकम का विश्लेषण किया। इससे पिछले साल के आंकड़े भी इसी तारीख के लिए गए। इतनी ही औसत आकार वाला सार्वजनिक निर्गम पिछली बार साल 2010 में देखा गया था। उस साल 56 आईपीओ आए थे, इस साल कुल संख्या 93 रही।
बाजार में उतरने वाली कंपनियों की संख्या हाल के वर्र्षों में ज्यादा रही है। साल 2017 व 2018 में ऐसे आंकड़े ज्यादा थे। यह उस संभावना का संकेत देता है कि कुछ कंपनियों ने हालांकि बड़ी रकम जुटाई लेकिन कई कंपनियां अच्छे मूल्यांकन के बावजूद बाजार में नहींं उतरी। इसे देखने का दूसरा नजरिया यह होगा कि जुटाई गई रकम को सूचीबद्ध कंपनियों के कुल बाजार पूंजीकरण के अनुपात में देखा जाए। इस मामले में सबसे ऊंचा आंकड़ा 2004 का रहा है। उस समय हर 1,000 रुपये के बाजार पूंजीकरण पर कंपनियों ने 8.2 रुपये जुटाए। ये तेजी के बाजार के शुरुआती दिन थे, जो साल 2008 में वैश्विक आर्थिक संकट के साथ समाप्त हो गए।
अभी तक जुटाई गई रकम मौजूदा बाजार पूंजीकरण के हर 1,000 रुपये के लिए 3.5 रुपये है। यह साल 2018-2020 से ज्यादा है।
जो कंपनियां बाजार में नहींं उतर रही हैं उसकी मुख्य वजह मांग की स्थिति हो सकती है। मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कंपनियां अपनी मौजूदा विनिर्माण क्षमता का महज 60 फीसदी इस्तेमाल कर रही थी।
पेटीएम के मौजूदा शेयरधारकों ने शेयर बेचकर 10,000 करोड़ रुपये हासिल किए जबकि कंपनी ने भविष्य की योजना के लिए करीब 8,300 करोड़ ररुपये पाए। यह शेयर आगाज पर 20 फीसदी गिरकर बंद हुआ।