बीएस बातचीत
वाहन उद्योग से पिछले सप्ताह टाटा मोटर्स, सुजूकी मोटर गुजरात, महिंद्रा ऐंड महिंद्रा, हुंडई और किया मोटर्स सहित 20 कंपनियों को उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के लिए चुना गया। अरिंदम मजूमदार से बातचीत में भारी उद्योग मंत्रालय में सचिव अरुण गोयल ने इस योजना के बारे में जानकारी दी। प्रमुख अंश…
कंपनियों को किन आधार पर चुना गया?
चारपहिया, दोपहिया, तिपहिया और नए दौर के वाहनों की विभिन्न श्रेणियों के लिए विभिन्न मानदंड तय किए गए थे। जिसने भी मानक पूरे किए, उन्हें चुना गया। यह अलग करने की प्रक्रिया नहीं थी। यह बहुत पारदर्शी तरीका है।
ऑटोमोबाइल जैसे स्थापित विनिर्माण क्षेत्र के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना के पीछे क्या विचार था?
हम ऑटोमोबाइल क्षेत्र में उन कल पुर्जों के विनिर्माताओं को आकर्षित करना चाहते थे, जो भारत में उपस्थित नहीं हैं। हमने केवल उन्हें प्रोत्साहन दिया है।
लेकिन नए दौर के स्वच्छ ऊर्जा के इस्तेमाल वाले वाहनों के अलावा परंपरागत आईसी इंजन विनिर्माताओं को भी चुना गया?
हमने किसी को बाहर नहीं किया है। आईसी इंजन विनिर्माता विनिर्माण के लिए प्रोत्साहित होंगे, लेकिन उसके लिए नहीं, जिसका पहले से भारत में निर्माण हो रहा है। यहां तक कि आईसी इंजन की आपूर्ति शृंखला में बड़े पैमाने पर ऐसे उत्पाद हैं, जिनका आयात होता है। हम चाहते हैं कि इलेक्ट्रॉनिक्स, एयरबैग जैसे सामान भारत में बनाए जाएं, न कि उनका आयात हो।
सरकार लक्ष्य हासिल करने के लिए किस तरह से निगरानी करेगी?
कोई निगरानी एजेंसी नहीं है। यह एफएएमई की तरह है। वाहन उत्पादों की बिक्री वाहन पोर्टल के माध्यम पता चल सकेगी। बिक्री और पहले से तय अनुपात के आधार पर प्रोत्साहन दिया जाएगा।
क्या ज्यादा आवेदक आने पर योजना के वित्तपोषण का आकार बढ़ेगा।
नहीं। वित्तपोषण की ऊपरी सीमा 25,938 करोड़ रुपये है। अगर प्रोत्साहन बजट आवंटन ऊपर जाता है तो 5 साल के पहले ही यह योजना पूरी हो जाएगी।
कई ईवी स्टार्टअप का कहना है कि पात्रता का मानदंड इतना ऊपर था कि वे योजना से बाहर हो गए?
आवेदकों और सफल आवेदकों की संख्या देखें। मूल परिकल्पना की तुलना में प्रतिक्रिया कई गुना ज्यादा है।
कोविड के दौरान विनिर्माताओं का जोर जोखिम से बचने पर था और वे चीन जैसे एक स्थल से अपना कामकाज हटा रहे हैं। भारत को इसका कितना लाभ मिलेगा?
हमने अनुमान लगाया है कि उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना की नीति से अगले 5 साल में ,31,500 करोड़ रुपये का बढ़ा उत्पादन रहेगा, जिसका आयात होना था। इससे साढ़े सात लाख नौकरियों का भी सृजन होगा।