बीएसई में सूचीबद्ध ऑथम इन्वेस्टमेंट ऐंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की अनिल अंबानी समूह की दो अहम कंपनियों रिलायंस कॉमर्शियल फाइनैंस और रिलायंस होम फाइनैंस लिमिटेड को खरीदने की योजना पर अंतिम फैसला भारतीय रिजर्व बैंक लेगा। 2,000 करोड़ रुपये के बाजार पूंजीकरण वाली ऑथम इन्वेस्टमेंट की योजना वित्तीय क्षेत्र के सभी कारोबार में उतरने की है और इसके जरिए वह बड़ी कंपनी बनना चाहती है। ऑथम इन्वेस्टमेंट के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
बैंकरों ने कहा कि क्या ऑथम नियामक के फिट ऐंड प्रॉपर मानक को पूरा करती है या नहीं, यह आरबीआई पर निर्भर है और ऑथम इन्वेस्टमेंट के चयन में हमने पूरी प्रक्रिया का पालन किया है और अपनी सिफारिशें आरबीआई को सौंपी है। भारतीय बैंक दोनों कंपनियों के कर्ज पुनर्गठन में भारी कटौती झेलेगी और इन कंपनियों को ऑथम के हवाले करेगी।
इस साल मार्च में रिलायंस होम फाइनैंस का कर्ज 12,976.40 करोड़ रुपये और रिलायंस कॉमर्शियल फाइनैंस का कर्ज 9.894 करोड़ रुपये था। ऑथम ने रिलायंस कॉमर्शियल फाइनैंंस कंपनी के लिए 1,585 करोड़ रुपये और रिलायंस हाउसिंग फाइनैंस के लिए 2,887 करोड़ रुपये की पेशकश की है। आरएचएफएल के लिए 2,887 करोड़ रुपये की पेशकश में से 90 फीसदी नकद दिए जाएंगे जबकि बाकी एक साल में भुगतान होगा। ऑथम के अधिकारियों ने कहा कि उनके पास दोनों कंपनियों के लिए पर्याप्त नकदी है। हालांकि उन्होंने इसका ब्योरा नहींं दिया।
ऑथम की मूल कंपनी मेंटर कैपिटल और उसके प्रवर्तक संजय डांगी को बाजार नियामक से इस साल मार्च में क्लीन चिट मिल गई। प्रतिभूति बाजार में धोखाधड़ी व अनुचित व्यापार व्यवहार के संबंध में नियामक करीब एक साल से कंपनी व डांगी के खिलाफ जांच कर रहा था।
रिलायंस की इकाइयों को कर्ज देने वाले एक सार्वजनिक बैंक के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, बैंक ऑफ बड़ौदा लीड बैंकर है और उसने अभिरुचि पत्र आमंत्रित किया और कई कंपनियों ने इन दोनों फर्मों के लिए प्रस्ताव पेश किए। इनमें से ऑथम की योजना का चयन हुआ, जो आरएचएफएल और आरसीएफएल के लिए सबसे अच्छा था।
बैंकर ने कहा, हमें कुछ खुदरा एनसीडी धारकों से मंजूरी की दरकार होगी, जिसे हम चुनौती नहीं मान रहे हैं। अब हम दोनों अधिग्रहण के लिए आरबीआई की मंजूरी की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
ऑथम इन्वेस्टमेंट के अधिकारियों ने कहा, हमें हाउसिंग फाइनैंस और एनबीएफसी कारोबार में काफी क्षमता देख रहे हैं और इसी वजह से हमने पेशकश की है।
कर्ज भुगतान मेंं चूक के बाद आरएचएफएल और आरसीएफएल को कर्ज पुनर्गठन के लिए भेजा गया।